राम नाथ नीखरा
September 20, 2024मोती लाल त्रिपाठी ‘अशांत’
September 21, 2024जन्म – 4 जुलाई 1922 ई.
जन्म स्थान – पचमढ़ी (म.प्र.)
जीवन परिचय –
कार्य स्थान – सागर (म.प्र.), पूर्व उपकुलपति- सागर वि.वि. सागर (म.प्र.)
उपन्यास – कठपुतलियों का दौर , खलीफों की बस्ती
खण्ड काव्य – ताज महल (1950), लंबी कविता- नई खबर (1951)
अन्य रचनाएँ –
कविता संग्रह – भेरी (1945), मृत्युंजय (1949), चेतना संकल्पधर्मा (1967), तुम ऋचा हाे (1980), शहर सहमा हुआ (1981), समय कागज पर (1983), अरे यार सूरज (1993)
गीत संग्रह – अल्पना रचना (1989)
निबंध संग्रह – संवादहीनता के विरोध में रचनाधर्मिता (1999)
बालोपयोगी – जमीन की कथाएं (1989)
कथा काव्य – कृष्ण क्यों जीते: राक्षस क्यों हारा? (1993)
शिव कुमार श्रीवास्तव जी स्वतंत्रतापूर्व के साहित्यविद् हैं। आपने अपने उपन्यासों के द्वारा समकालीन समाज की दशा को उजागर किया है। उसी प्रकार आपकी अन्यान्य रचनाओं जैसे ‘तुम ऋचा हो’, ‘समय कागज पर’ तथ ‘शहर सहमा हुआ’ में समय के विवर्तों की पर्तों को उधेड़ कर सामाजिक व्यवस्थाओं को सचेत करने के संदेश दिये हैं। दिल्ली के लाल किले से कविता पाठ करने वाले वे बुंदेलखंड के एकमात्र कवि थे। वे सागर से विधायक रहे और अनेक मजदूर संघों के संस्थापक अध्यक्ष रहे। म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्र.ले.सं. और अ.भा.शांति और एकजुटता समिति के अध्यक्ष के साथ-साथ वे चित्रकार और पत्रकार भी थे, जागृति, वसुधा आदि पत्रिकाओं के सम्पादन सहयोगी थे।