ग्रन्थ – काव्य सरोज, रस सागर, अनुप्रास विनोद, विक्रम विकास, सरोज कलिका, कवि कल्पदुम आदि।
श्रीपति का जन्म बुन्देलखण्ड के कालपी जिला जालौन में हुआ था। आप रीतिकाव्य के सिद्धहस्त कवि थे। आपकी रचनाओं में काव्य सरोज बहुत प्रसिद्ध रहा। इस के कुछ पद प्रस्तुत है-
” घूंघट उदय गिरि में निकसि रूप।
सुयाखों कलित छवि कीरति धगासौ है।”
(१) “हरिन डिठौना स्याम सुख सील बरषत
करषत सोक, अति, तिमिर, विदारो है।
श्रीपति विलोकि सौति वारिज मलिन होति,
हरषत कुमुद फूलै नंद कौ दुलारौ है। (हि.सा. इति. शुक्ल)
श्रीपति सुकवि जहॉं ओज न सरोजन की,
फूल न फुलत जाहि चित दै चहा करै।
बकन की बानी की विराजति है राज धानी,
काई सौ कलित पानी फेरत हहा करै।
धौघन के जाल, जामे नरई सेवाल व्याल
ऐसे पापी ताल को मराल लै कहा करै।”