बृज और बुन्देलखण्ड के संधि-स्थल पर ग्वालियर संभाग के मुँरता जिला मुख्यालय से 42 किलोमीटर दूर मध्ययुगीन संस्कृति का वैभवशाली प्रतीक दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र सिहौनिया जी अहसिन नदी के किनारे विद्यमान है।
इतिहास
लगभग 2000 वर्ष पूर्व ग्वालियर के कछवाहा राजवंशीय सूरसेन (सूरजसेन) आदि द्वारा सिहौनिया की स्थापना की गई थी। उन्हीं के नाम पर बसे सिहोनिया का जैन तीर्थ एवं पास ही स्थित उत्तुंग तांत्रिकों का प्रसिद्ध और प्राचीन लगभग 100 फुट उत्तुंग ‘ककन मठ’ यह पुष्ट करते हैं कि कभी यह कलाप्रेमियों के लिये दर्शनीय तीर्थ एवं पुरातात्विक केन्द्र रहा होगा परन्तु अतीत की स्थितियाँ अब परिवर्तित हो चुकी हैं। वर्तमान जैन क्षेत्र कभी भूगर्भ में समाया था। लगभग 80 वर्ष पूर्व एक ब्रह्मचारी श्री गुमानीमल जैन को सपना आया कि यहाँ चट्टान के नीचे खुदाई करने पर तीर्थंकर प्रतिमा मिलेगी। और सचमुच जैन धर्मावलम्बियों को जब तीर्थंकर शान्तिनाथ की यह विशाल और भव्य मूर्ति खुदाई से मिली तो सम्पूर्ण क्षेत्र में आह्लाद छा गया था।
पुरातत्व
ग्यारहवीं सदी की इस त्रिमूर्ति का अब एक ही प्राचीन जिनालय यहाँ दर्शनीय है जिसमें 13 फुट उत्तुंग तीर्थंकर शान्तिनाथ के दोनों ओर लगभग 8-8 फुट ऊँची तीर्थंकर कुन्थनाथ एवं अरहनाथ की मूर्तियाँ खड़गासन मुद्रा में दर्शनीय हैं। एक शिलालेख भी है जिसमें केवल संवत् 141 पठनीय हैं ऊपर का 1 शायद दब गया है अर्थात् यह संवत् 1141 होना चाहिए।
मध्याँचल में अधिकांश तीर्थ क्षेत्रों पर शान्तिनाथ कुन्थनाथ-अरहनाथ की त्रिमूर्तियाँ स्थापित होने का एक कारण यह भी हो सकता है कि इसके निकट स्थित हस्तिनापुर के ही निवासी थे-तीर्थकर शान्तिनाथ, कुन्थनाथ एवं अरहनाथ जो कामदेव और चक्रवर्ती भी थे। हालाँकि भगवान महावीर स्वामी आदि की अनेक मूर्तियाँ भी यहाँ विद्यमान हैं परन्तु वे कहीं न कहीं खण्डित हैं। अन्य विद्यमान शिल्पावशेष भी दर्शनीय हैं।
हाल ही में एक चौबीसी का नवनिर्माण भी किया गया है और समवशरण की सुन्दर रचना भी हो चुकी है। जैन क्षेत्र में धर्मशाला की पर्याप्त व्यवस्था है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।