ललितपुर जिले के महरौनी विकासखण्ड में ‘बुधनीग्राम’ महरौनी मड़ावरा मार्ग पर सैदपुर से पश्चिम दिशा में 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहॉं 12 वीं शती का सूर्यमन्दिर है। इसका शिखर ध्वस्त हो गया है, समतल वितान सुरक्षित है। तल छंद योजना की दृष्टि से गर्भगृह अंतराल तथा अर्द्धमण्डप था। इसमें अब अंतराल तथा अर्द्धमण्डप ध्वस्त हो गया है। चार स्तम्भ विद्यमान हैं, जिनमें एक सुरक्षित तथा तीन खण्डित हैं इसका प्रवेशद्वार कलात्मक है जिस सिरदल पर पद्मासन सूर्य विराजमान हैं दोनों ओर क्रमशः नवग्रह तथा सप्तमातृकायें हैं प्रवेशद्वार के अधोवर्ती भाग में मकर वाहिनी गंगा तथा कूर्मवाहिनी यमुना अंकित है। गर्भगृह में उदीच्यवेषधारी सूर्य की 1.8 मीटर ×.9 मीटर माप की स्थानक प्रतिमा है। जो ऊँचा किरीट मुकुट, कर्णकुण्डल, ग्रेवेयक तथा कण्ठहार धारण किये हुये हैं। चोलक तथा उपानह पहने हैं। दोनों खण्डित भुजाओं पर लहराता उत्तरीय है। पाद पीठ पर दॉंये बॉंये राज्ञी, निभुक्ष, नीचे भूदेवी तथा सूर्यदेव के दोनों पाश्वों में दण्ड पिंगल है। अलंकृत प्रभामण्डल है।
ललितपुर जिले के सीरोन खुर्द से एक कलात्मक शिलाखण्ड प्राप्त हुआ था जिस पर सूर्य, अन्य नवग्रह कार्तिकेय तथा विष्णु अंकित है। यह शिलाखण्ड राजकीय संग्रहालय लखनऊ में संग्रहीत है (सं.सं. 81.198) इस शिलाखण्ड पर सूर्य सात घोड़ों वाले रथ पर विराजमान है। कंधे तक उठे हुये दोनों हाथों मे सनाल कमल लिये, सिर पर अलंकृत मुकुट, पीछे प्रभामण्डल, ग्रैवेयक, कुण्डल, अलंकृत ऊँचे उपानह, उत्तरीय तथा अधोवस्त्र धारण किये हुये हैं। बांयी ओर तलवार, ढ़ाल लिये दण्ड तथा दाहिनी ओर पिंगल है। सूर्य के पैरों के मध्य ध्यानमुद्रा में महाश्वेता की छोटी मूर्ति है। रथ पर घोड़ों की लगाम पकड़े सारथी अरुण बैठे हैं। यह शिलाखण्ड खण्डित है, जिससे प्रतीत होता है कि लता-बल्लरी से अलंकृत शिलाखण्ड के आगे अन्य देवता भी रहे होंगे।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।