उपन्यास – अंधेरे से परे, मुझे चाँद चाहिये, दो मुर्दों के लिये गुलदस्ता काटना शमी वृक्ष का पदम् पंखुरी की धार से। प्रेमचन्दोत्तर काल में उपन्यासों की रचना सामाजिक नवाचार के धरातल पर हुई है। जिसमें नारी उत्थान की प्रतिबद्धता स्पष्ट दिखाई देती है। डॉ. सुरेन्द्र वर्मा के उपन्यास की पटकथा इसी पर आधारित है। आप का लिखा उपन्यास ‘मुझे चाँद चाहिए’ एक बहुचर्चित उपन्यास है।
यह एक सामाजिक उपन्यास है। यह नायिका प्रधान आख्यान है। इसकी नायिका यशोदा है और नायक हर्ष हैं। कथावस्तु इसमें यशोदा उर्फ वर्षा वशिष्ट के समाज के प्रतिबन्धों के प्रति संघर्ष की कहानी है। साधारण परिवार में जन्मी लड़की यशोदा जैसे पुराने नाम के विरूद्ध विद्रोह कर अपना नाम वर्षा वशिष्ठ रख लेती है। जो उसकी शिक्षा के बाद कार्यों में प्रतिष्ठा प्रदान करता है। वर्षा उत्तरोत्तर प्रगति कर एक सफल अभिनेत्री बन जाती है। इस काल में हर्ष से उसका प्रेम-विवाह हो जाता है और अनब्याही माँ बन जाती है। यह सब असफल प्रेम बन्धन के धागे सिद्ध होता है। किन्तु वर्षा की महत्वाकांक्षा की पूर्ति में “मुझे चाँद चाहिए” उपन्यास की कथा वस्तु बन जाती है।
भाषा-शैली – इस उपन्यास की भाषा शुद्ध हिन्दी है और कथा शैली से कथ्य को उकेरा गया है। जो शाहजहाँपुर क्षेत्र की है।
पात्र-संवाद – पात्र स्थानीय हैं और संवाद पात्रानुसार हैं।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।