हरि मोहन लाल श्रीवास्तव
September 20, 2024भगवान दास श्रीवास्तव
September 20, 2024जन्म – 5 मार्च 1918 ई.
जन्म स्थान – ग्राम पो. बरुआ सागर, मऊरानीपुर
जीवन परिचय –
ग्रन्थ – समस्या ग्रस्त बरुआ सागर, जैतपुर नरेश परीछत, बुन्देलखण्ड के किले एवं गढ़ियाँ, घोड़ा बाबा, राय प्रवीन (उपन्यासिका) आदि।
रामसेवक रिछारिया जी ने अपनी जन्म भूमि के सौरभ, उसके 1857 क्रांति में योगदान तथा बुन्देलखण्ड के किले एवं गढ़ियों जैसी पुस्तकें लिखकर प्रकाशित की हैं इसी क्रम में आपने ‘राय प्रवीन’ जैसे चरित्र पर एक लघु उपन्यास भी प्रणीत किया है जो- 1. ऐतिहासिक उपन्यास है। 2. इसकी नायिका बहुचर्चित ओरछा राज्य की नृत्यांगना व काव्य-प्रवीण है। 3. इस उपन्यासिका की कथावस्तु ‘राय प्रवीन’ का चरित्र-चित्रण है। जिसमें रामसेवक रिछारिया ने पुरानी कथा को नये स्वरूप में चित्रित किया है। इसमें रिछारिया जी ने कछौवा में पैदा माधौ लुहार की पुत्री का जन्म सन् 1585 ई. माना है। इसका नाम पुनिया स्वीकार किया है। किन्तु आपने राय प्रवीन के जीवन की घटना में एक नवीन उद्भावना दी है। इसके अनुसार राय प्रवीन को राजा इन्द्रजीत से विलग करने हेतु इन्द्रजीत की रानी और केशवदास ने मिल कर एक षड़यंत्र रचा। जिसमें राय प्रवीन को सम्राट अकबर के पास दिल्ली बुलाने के आदेश की कहानी निर्मित की। यह एक मात्र सम्भावना हो सकती है।
अन्यान्य लेखकों ने राय प्रवीन विषयक उद्भावनाएँ साहित्य वारिधि कन्हैयालाल ‘कलश’ भसनेह, झाँसी ने अपनी पुस्तक श्रुति लेख में सप्रमाण राय प्रवीन की जाति-कुल, माता-पिता, जन्म-स्थान और राजा इन्द्रजीत के साथ गंधर्व विवाह की बात लिखी है। टीकमगढ़ के कवि-कहानीकार एवं इतिहासकार श्री हरिविष्णु अवस्थी ने लगभग 70 पुरानी और नवीन उद्भावनाओं को विश्लेषित किया है। आपके अनुसार रायप्रवीन एक आशु कवयित्री थी। इसके रचे दो महत्वपूर्ण ग्रंथों (1) नायिका भूषण और (2) प्रवीण विनोद की जानकारी दी है। इसके अतिरिक्त राय प्रवीन उत्कृष्ट नृत्यांगना के साथ चित्रकला में प्रवीण थी।
इस प्रकार राय प्रवीन से जुड़ी कहानी में पुरातन की कथा वस्तु को नवीन उद्भावनाओं से जोड़कर उपन्यासकारों ने इसके कथ्य और तथ्यों को सुधारा है। रामसेवक रिछारिया जी की ‘रायप्रवीण’ उपन्यासिका की भाषा-कथावस्तु-पात्र एवं संवाद आदि सुपरिचित रचना शैली में हैं। इसका प्रकाशन सन् 2001 ई. में हुआ।