ग्रन्थ – समस्या ग्रस्त बरुआ सागर, जैतपुर नरेश परीछत, बुन्देलखण्ड के किले एवं गढ़ियाँ, घोड़ा बाबा, राय प्रवीन (उपन्यासिका) आदि।
रामसेवक रिछारिया जी ने अपनी जन्म भूमि के सौरभ, उसके 1857 क्रांति में योगदान तथा बुन्देलखण्ड के किले एवं गढ़ियों जैसी पुस्तकें लिखकर प्रकाशित की हैं इसी क्रम में आपने ‘राय प्रवीन’ जैसे चरित्र पर एक लघु उपन्यास भी प्रणीत किया है जो- 1. ऐतिहासिक उपन्यास है। 2. इसकी नायिका बहुचर्चित ओरछा राज्य की नृत्यांगना व काव्य-प्रवीण है। 3. इस उपन्यासिका की कथावस्तु ‘राय प्रवीन’ का चरित्र-चित्रण है। जिसमें रामसेवक रिछारिया ने पुरानी कथा को नये स्वरूप में चित्रित किया है। इसमें रिछारिया जी ने कछौवा में पैदा माधौ लुहार की पुत्री का जन्म सन् 1585 ई. माना है। इसका नाम पुनिया स्वीकार किया है। किन्तु आपने राय प्रवीन के जीवन की घटना में एक नवीन उद्भावना दी है। इसके अनुसार राय प्रवीन को राजा इन्द्रजीत से विलग करने हेतु इन्द्रजीत की रानी और केशवदास ने मिल कर एक षड़यंत्र रचा। जिसमें राय प्रवीन को सम्राट अकबर के पास दिल्ली बुलाने के आदेश की कहानी निर्मित की। यह एक मात्र सम्भावना हो सकती है।
अन्यान्य लेखकों ने राय प्रवीन विषयक उद्भावनाएँ साहित्य वारिधि कन्हैयालाल ‘कलश’ भसनेह, झाँसी ने अपनी पुस्तक श्रुति लेख में सप्रमाण राय प्रवीन की जाति-कुल, माता-पिता, जन्म-स्थान और राजा इन्द्रजीत के साथ गंधर्व विवाह की बात लिखी है। टीकमगढ़ के कवि-कहानीकार एवं इतिहासकार श्री हरिविष्णु अवस्थी ने लगभग 70 पुरानी और नवीन उद्भावनाओं को विश्लेषित किया है। आपके अनुसार रायप्रवीन एक आशु कवयित्री थी। इसके रचे दो महत्वपूर्ण ग्रंथों (1) नायिका भूषण और (2) प्रवीण विनोद की जानकारी दी है। इसके अतिरिक्त राय प्रवीन उत्कृष्ट नृत्यांगना के साथ चित्रकला में प्रवीण थी।
इस प्रकार राय प्रवीन से जुड़ी कहानी में पुरातन की कथा वस्तु को नवीन उद्भावनाओं से जोड़कर उपन्यासकारों ने इसके कथ्य और तथ्यों को सुधारा है। रामसेवक रिछारिया जी की ‘रायप्रवीण’ उपन्यासिका की भाषा-कथावस्तु-पात्र एवं संवाद आदि सुपरिचित रचना शैली में हैं। इसका प्रकाशन सन् 2001 ई. में हुआ।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।