वर्तमान पता – 28 बघेरा अपार्टमेंट, अरेरा काॅलोनी, भोपाल (म.प्र.)
रचना – बेतवा की सुन्दरी , लाला हरदौल का विषपान
अन्य – बुन्देलों का इतिहास (सह लेखन) , हरिजन आश्रम , 1857 की क्रांति और राजा बखत बली
कहानी – झाँसी की रानी असमंजस (संग्रह)
उर्दू – बाँदा का विद्रोही नवाब अली बहादुर (द्वितीय) , 1857 की क्रांतिकारी तेजा बाई
भगवान दास श्रीवास्तव टीकमगढ़ की क्रांति भूमि में पैदा हुये। आपने बुन्देलखण्ड की क्रांति का साधिकार लेखन किया है। आप हिन्दी अंग्रेजी व उर्दू के प्रख्यात विद्वान रहे। आपके लिखे उपन्यास- वेतवा की सुन्दरी , लाला हरदौल का विषपान आज भी साहित्य की धरोहर हैं।
वेतवा की सुन्दरी – (प्रकाशन सन् 1989 ई.)
वेतवा के सुरम्य तट पर स्थित ओरछा बुन्देलों की राजधानी रही। जिसका गौरव व ‘रामराजा सरकार’ का वैभव देश-विदेशों तक फैला है। इसके राज्य की कीर्ति कालिंजर से लेकर कालपी तक फैली थी। इसी प्रकार वेत्रवती का गुणगान वेदों में भी हुआ है। इसी राज्य की सुन्दर नृत्यांगना ‘राय प्रवीण’ भी यहाँ की शोभा रही। जिसके विषय में अनेक विद्वानों ने लिखा है। डॉ. भगवान दास श्रीवास्तव ने ‘वेतवा की सुन्दरी’ नाम से राय प्रवीण पर यह उपन्यास लिखा है। जिसका संक्षिप्त चित्रण इस प्रकार है-
वेतवा की सुन्दरी का जीवन चरित्र ‘राय प्रवीण’ नृत्यांगना का ही है। यह एक ऐतिहासिक उपन्यास है। इसकी नायिका प्रवीणराय है। उपन्यास की कथावस्तु वास्तव में राजा इन्द्रजीत-रक्षित उनकी जागीर ‘कछौवा’ के लुहार की अप्रतिम सुन्दर पुत्री है। राजा उस पर मोहित हो ओरछा ले आये थे। यहाँ नृत्य-गायन व काव्य का ज्ञान ‘कवि केशव दास’ ने दिया। इस प्रकार वह ओरछा राज्य की शोभा बनी। उसके चरित्र के विषय में अनेकानेक बातें लोगों में फैली। अकबर का प्रसंग इसी तरह जुड़ा है। भगवान दास श्रीवास्तव का यह उपन्यास 1989 ई. में प्रकाशित हुआ। जिसमें इसका नाम ‘पुनिया’ लिखा है। इसका निवास ‘वरद्वारा’ माना गया है। इससे जुड़े अनेक कथ्य एवं तथ्य प्रचलित हैं।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।