राय प्रवीण
July 16, 2024बलभद्र कायस्थ
July 16, 2024गुलाब कवि
जन्म – सं. १६०० वि.
कविताकाल – सं. १६४० वि.
जीवन परिचय
सं. १६०० वि. ओरछा में जन्म हुआ आप महाराज रामशाह के आश्रित एवं दरबारी कवि थे। आपकी काव्य की प्रतिभा इस पदावली में मिलती है –
“मोर पच्छिवारौ कंत लच्छिवारौ
तन-मन वारौ सुरथेन घिरवारौ है।
जालिम दसारौपतिवारौ नलपति धारौ,
राम रखवारौ प्रभुता कौ रखवारौ है।”
इस प्रकार बुंदेलखंड में राम काव्य के दर्शन कवियों की रचनाओं में होते रहे। प्रभु के साथ प्रभुता की प्रशंसा का काव्य का निर्माण हुआ जैसा कि दरबार के आश्रित कवियों का दायित्व होता है। प्रभुता के साथ सौन्दर्य का बखान और श्रृंगार के दर्शन काव्य में हुये। श्रीराम के वात्सल्य सौन्दर्य तक सीमित काव्य अब श्री कृष्ण की ललित कलाओं, मोहक लीलाओं की ओर अधिक प्रबल रूप से प्रवाहित होने लगा इसीलिये उपासना काल में लीलामृत काव्य की स्पष्ट झलक मिलती है जो इस समय की सशक्त काव्य धारा बनी।