
गणेश जी की कथा
July 31, 2024
भगवान की कथा
July 31, 2024एक बुढ़िया थी उसका अपना कोई नहीं था। वह घर में अकेली रहती थी। वह रोज सुबह उठकर स्नान आदि करके तुलसी माता को जल चढ़ाती व उन्हीं की रोज पूजा किया करती थी, प्रतिदिन पूजा के करने के बाद वह हाथ जोड़कर तुलसी माता से यही प्रार्थना करती थी कि हे तुलसी माता हमें एकादशी का मरना देना, द्वाद्वशी की तापना देना, उपटा की मौत देना, श्री कृष्ण का कंधा देना, पीताम्बर धोती देना, राधा की टेर देना, चंदन लकड़ियाँ देना। पूजा करने के बाद रोज ही तुलसी माता से ऐसी विनती करती थी, बहुत दिन बीत गये अब जैसे-जैसे उसका समय करीब आता गया तुलसी मैया की चिंता बढ़ने लगी धीरे-धीरे वह सूखने लगी, एक दिन भगवान ने पूछा तुलसी सब लोग तुम्हें सुबह से ही ढारते, पूजते हैं।
कार्तिक स्नान करने वाली स्त्रियों रोज तुम्हारी पूजा व आरती करती हैं फिर भी तुम सूखती जा रही हो क्या बात है? तुलसी ने भगवान से कहा, एक बुढ़िया रोज हमारी पूजा करके यही विनती करती है कि हे तुलसी मैया उपटा की मौत देना, श्री कृष्ण का कंधा देना, पीताम्बर धोती देना, राधा की टेर देना, चंदन लकड़ियाँ देना और तो सब हम देदें पर श्री कृष्ण का कंधा कहाँ से देंगें उसे। भगवान ने कहा तुलसी तुम चिंता मत करो पहले की ही तरह हरियाती रहो जब उसका समय आयेगा तब सब हो जायेगा। कुछ दिन बाद जब कार्तिक की देवउठनी एकादशी का दिन आया बुढ़िया रोज की तरह पूजा करने के बाद परिक्रमा कर रही थी कि अचानक उसे उपटा आया और वह गिर पड़ी और थोड़ी ही देर बाद मर गई।
सुबह से पूरा दिन व रात भर ऐसी पड़ी रही जब दूसरे दिन सुबह भी बुढ़िया के किवाड नहीं खुले, तो पड़ोसियों को आश्चर्य हुआ कि रोज सुबह ही बढ़िया के दरवाजे खुल जाते थे आज क्या बात है। पड़ोसी किसी तरह अंदर गये तो देखा कि बुढ़िया तुलसी के पास ही मरी पड़ी है। उसका अपना तो कोई था ही नहीं इससे थोड़ी देर बाद सब पड़ोसियों ने मिल कर सब तैयारी की जब उसे उठाने के लिए अंदर गये तो बहुत कोशिशों के बाद भी बुढ़िया नहीं उठी लोगों ने काफी देर तक जोर लगाया परन्तु नहीं उठा सके, थोड़ी ही देर बाद भगवान बालक का रूप रखकर आये और जैसे ही उन्होने ने बुढ़िया को हाथ लगाया वह तुरंत ही उठ गई उन्होंने पीताम्बरी उठाई उधर से राधाजी मौसी मौसी की टेर लगाती हुई आईं, भगवान ने उसे अपना कंधा दिया तथा चंदन की लकड़ियों से उसका दाह संस्कार किया व उसका उद्धार किया। भगवान ने जैसी उसकी राखी, वैसी सबकी राखे।
।। बोलो राधा कृष्ण भगवान की जय ।।
।। तुलसी माता की जय ।।