गंगा जी की आरती
July 31, 2024तुलसी जी की कथा
July 31, 2024एक माँ बेटी थीं एक बार उनके गाँव में मेला लगा हुआ था, पड़ोसकी सब स्त्रियां मेला देखने को जा रहीं थी। यह देख कर लड़की ने भी अपनी माँ से कहा, कि माँ माँ हम भी मेला देखने जायेगें। वह बार बार जिद करने लगी, लड़की की इच्छा देखकर माँ ने 5 लडडू बना दिये और पड़ोसिनों के साथ उसे भी मेला देखने भेज दिया। मेला देखकर उसे बहुत अच्छा लगा व सबके साथ वह भी गणेश जी के मंदिर में दर्शन करने को गई लडडू देते हुए उसकी मां ने कहा था कि 4 लडडू गणेश जी को चढ़ा देना और एक तुम खा लेना उसने वैसा ही किया 4 लडडू गणेश जी को चढ़ा दिये और 1 लड्डू अपने लिए रख लिया।
भगवान गणेश जी ने उसकी श्रद्धा व उसके भोलेपन को देख कर हँसते हुआ कहा वह पाँचवा लडडू भी चढ़ा दो उसने वह लडडू भी चढ़ा दिया, तब गणेश जी बहुत प्रसन्न हुये और उससे कहने लगे हम तुम पर बहुत प्रसन्न हैं, वर मॉग लो जो माँगना हो वह बाहर आकर मंदिर के दरवाजे पर बैठ गई और सोचने लगी गणेश जी ने तो एक ही वर दान देने को कहा है पर हम क्या माँगे, हमें तो मांगना आता ही नहीं। हमारे घर में बहुत गरीबी है। हम माँ बेटी अकेली हैं हमारे कोई भाई भी नहीं है तथा हम ये चाहते हैं कि हमारा व्याह श्री कृष्ण भगवान के साथ हो वे हमें पति रूप में मिलें।
गणेश जी ने तो हमें एक ही वरदान देने को कहा है फिर हम इतनी सारी चीजें कैसे माँगें, वह मंदिर के दरवाजे पर बैठ कर यही सब सोचती रही और शाम हो गई उधर गणेश जी ने सोचा कि यह सुबह से यहाँ बैठी है और कब तक बैठी रहेगी। वे बालक का रूप रखकर आये और कहने लगे यहाँ क्यों बैठी हो, क्या बात है तब लड़की कहने लगी क्या बतायें आज सबेरे गणेशजी ने हमसे प्रसन्न होकर वरदान देने को कहा था लेकिन इतनी सब चीजें हम एक साथ भगवान से कैसे मांगें और यह कहते हुये अपने मन में सोचीं हुई सारी बातें गणेश जी को बता दी, भगवान ने हँस कर कहा तुम उनसे इस तरह कहना कि भगवान हमें जडाऊ को गहना देव, लदाऊ को लहंगा देव, पॉच बरस को भइया देव, और श्री कृष्ण हमें ब्याहने आवें।
यह सुन कर वह बहुत खुश हुई और दौड़ी दौड़ी मंदिर के भीतर गई और गणेश जी से कहने लगी कि सबेरे जो आपने हमें वरदान देने को कहा था वह हमने सोच लिया है और यह कह कर उसने गणेश जी की कहीं हुई सब बातें दोहरा दीं भगवान ने हँस कर कहा कि तुम तो कहीं थीं कि हमें माँगना नहीं आता और तुमने एक ही वरदान में सब माँग लिया। जाओ तुमने जो माँगा सो दिया और वह घर की तरफ लौट पड़ी रास्ते में सोचती जाती थी कि गणेश जी ने सब देने को कहा और दिया कुछ भी नहीं, निराश होकर वह घर की तरफ चली।
अभी वह नदी के पास पहुँची थी उसने देखा थोड़ी ही दूर पर हीरा मोती जगमगाते गहने रखे हैं वह देख कर बहुत खुश हुई और उसने वे सब जल्दी-जल्दी पहन लिया और घर की तरफ चली, रास्ते में उसने देखा कि पास ही में लदाऊ के लेंहगा और चुनरी रखे हैं उसने वे सब भी पहन लिये फिर एक 5 बरस का लड़का उधर से आया और बहन…बहन… कहके उससे लिपट गया वह उसका हाथ पकड़ कर घर चल पड़ी, पड़ोसियों ने उसे देख कर उसकी माँ को आवाज लगाई कि दरवाजा पर तुम्हारी बेटी भाई को लेकर आई है।
माँ ने आश्चर्य से कहा ऐसा कैसे हो सकता है और जैसे ही माँ ने दरवाजा खोला देखा बेटी 5 बरस के एक लड़के को पकड़कर खड़ी है। बेटी ने माँ को सब बातें बताई। माँ ने कहा तूने तो एक ही वरदान में भगवान से सब माँग लिया। समय आने पर झोपड़ी महल में बदल गई घर में धन संपति सब आ गई। कुछ समय आने पर भगवान श्री कृष्ण जी बारात लेकर आये और दोनों का विवाह धूमधाम से हुआ और सुख से रहने लगे। गणेश जी ने जैसी उसकी लाज रखी, सो सबकी लाज रखना।
“बोलो गणेश भगवान की जय”