ईसाई मिशनरियों और अंग्रेज विद्वानों के लोकसाहित्य-सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण कार्य से प्रेरित होकर बंगाल, बिहार, गुजरात आदि प्रदेशों में सर्वेक्षण और संग्रह का कार्य 20वीं शती के दूसरे दशक से प्रारम्भ हुआ था। (1929 ई.) से आधुनिक काल का प्रवेश माना जाता है। जहाँ तक लोकनाट्यों का सम्बन्ध है, उनकी आधुनिकता के दो पक्ष बुन्देली प्रदेश मे मिलते हैं।1. सृजन की परम्परा और, 2. मंचन के प्रयोग।
सृजन-परम्परा का क्रमबद्ध अनुशीलन प्रस्तुत करना तो कठिन है, पर उदाहरण के तौर पर टीकमगढ़-महारानी बृषभान-कुँवरि का ‘सम्भ्रम मानलीला’ (1914 ई.) से स्पष्ट है कि दूसरे दशक मे ही लोकनाट्यों का सृजन प्रारम्भ हो गया था। रामरसिक कवयित्रियों ने जहाँ विभिन्न प्रकार के लोकगीतों की रचना की थी, वहाँ लीलापरक लोकनाट्यों का उद्भव हुआ।
बिजावर महारानी का ‘श्री युगल विरहलीला रहस’ रासपद्धति का लीला-लोकनाट्य है। ऐसे लोकनाट्य सिर्फ पद्यबद्ध होते हैं, इसलिए उन्हें लोकगीतिनाट्य कहना ठीक होगा। आधुनिक परिवेश और समाज की समस्याओं पर स्वाँग और नौटंकियाँ अधिक लिखे गए। आजादी के पहले के मंचन-प्रयोग परम्परित थे, पर बाद की नवीनता और मौलिकता के नाम पर विकृतियों के प्रतीक। लोकमंच में नए वैशिष्ट्य की तलाश लोकनाट्यों के प्रति आत्मीयता का रिश्ता कायम करने से ही होगी।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।