छाया श्रीवास्तव
September 21, 2024राजेन्द्र अवस्थी
September 21, 2024जन्म – सन् 1930 ई.
जन्म स्थान – ग्राम भसनेह, झाँसी (उ.प्र.)
जीवन परिचय –
पिता – स्व. आचार्य चतुर्भुज ‘चतुरेश’
शिक्षा – एम.ए. इलाहाबाद विश्वविद्यालय पूर्व I.P.S. सहायक सम्पादक दैनिक भारत इलाहाबाद (उ.प्र.)
ग्रन्थ काव्य – सत् धारा
- एकांकी नाटक संग्रह ‘शक्ति’
- निरोधात्मक सतर्कता Preventive vigilance
- उपन्यास-कथा-सूत्र
लेखक को काव्य विरासत में मिला। जिसका संग्रह का प्रकाशन बाद में ‘सत-धारा’ के नाम से प्रकाशित हुआ। इसमें अनेक पौराणिक, धार्मिक, छायावादी, गीत आदि समाविष्ट हैं।
भगवत नारायण शर्मा के लेखन में प्रयाग विश्व विद्यालय का अधिक प्रभाव दिखाई देता है। आपके प्रकाशित ‘शक्ति’ नामक एकांकी नाटकों के संग्रह में स्पष्ट है। इस संग्रह में सामाजिक, राजनीतिक आस्तिक चेतना के एकांकी हैं। जिसमें लेखक ने समाज की दशा का चित्रण कर दिशा प्रदान की है।
निरोधात्मक सर्तकता अंग्रेजी में लिखी सार्थक कृति है जिसमें लेखक ने विभागीय कार्यकलापों का तथ्यात्मक विवरण दिया है। ये सब साहित्य प्रकाशन दिल्ली से छपी हैं। उपन्यास- ‘कथा-सूत्र’ लेखक की अंतिम रचना है जिसका प्रकाशन सन् 2004 ई. में हुआ लिखा है। इसका बिन्दुवार विवरण इस प्रकार है।
- कथा-सूत्र एक संस्मरणात्मक चरित्र प्रधान उपन्यास है।
- इसका नाम कथा-सूत्र लिखना इसमें विभिन्न कथानकों के सूत्रों की समाहिती लगती है जिसमें स्वयं के पारिवारिक आख्यानों के साथ पुलिस विभागीय क्रियाकलापों का खुलासा हुआ है।
- उपन्यास का नायक नारायन स्वयं लेखक ही है।
- कथावस्तु का गठन इस प्रकार हुआ है कि इसके विभिन्न सूत्रों के होते हुये भी सशक्त है। इसका नायक उदात्त चरित्र, सत्य-निष्ठा वाला है।
- इसमें समाज के धर्म-कर्म उत्सों का सटीक वर्णन है। तथा पुलिसिया घाल-मेल को परत दर परत उजागर किया है।
- उपन्यास ‘कथा-सूत्र’ के पात्र व सम्वाद कथानक के अनुरूप हैं। जिसकी एक झलक इस प्रकार है-
(अ) “हुजूर इसमें मेरा कोई दोष नहीं है।
मैं निर्दोष हूँ। दीवान गिड़गिड़ा कर बोला।
तुम नहीं तो और कौन दोषी है?
हुजूर ! क्या बताऊँ… बड़ों का मामला है।
ऊपर से जैसा हुक्म आया, उसकी तामील करदी।”
(ब) साब छः फीट का फासला लेकर इस डकैत को गोली मार दीजिये। आपको बहादुरी का पदक मिल जायेगा- दारोगा ने कहा पकड़े गये को गोली से मार देना? ऐसा मैं नहीं कर सकता। ऐसे पदक हमें नहीं चाहिये ।
उपर्युक्त दो उदाहरणों से पुलिस ऐनकांउटरों के अन्दर की बात और ‘ऊपर के हुक्म’ के पदों का स्वतः पटाक्षेप हो जाता है। आपका निधन 31 मई 2004 को हुआ।