शिक्षा – एम.ए. इलाहाबाद विश्वविद्यालय पूर्व I.P.S. सहायक सम्पादक दैनिक भारत इलाहाबाद (उ.प्र.)
ग्रन्थकाव्य – सत् धारा
एकांकी नाटक संग्रह ‘शक्ति’
निरोधात्मक सतर्कता Preventive vigilance
उपन्यास-कथा-सूत्र
लेखक को काव्य विरासत में मिला। जिसका संग्रह का प्रकाशन बाद में ‘सत-धारा’ के नाम से प्रकाशित हुआ। इसमें अनेक पौराणिक, धार्मिक, छायावादी, गीत आदि समाविष्ट हैं।
भगवत नारायण शर्मा के लेखन में प्रयाग विश्व विद्यालय का अधिक प्रभाव दिखाई देता है। आपके प्रकाशित ‘शक्ति’ नामक एकांकी नाटकों के संग्रह में स्पष्ट है। इस संग्रह में सामाजिक, राजनीतिक आस्तिक चेतना के एकांकी हैं। जिसमें लेखक ने समाज की दशा का चित्रण कर दिशा प्रदान की है।
निरोधात्मक सर्तकता अंग्रेजी में लिखी सार्थक कृति है जिसमें लेखक ने विभागीय कार्यकलापों का तथ्यात्मक विवरण दिया है। ये सब साहित्य प्रकाशन दिल्ली से छपी हैं। उपन्यास- ‘कथा-सूत्र’ लेखक की अंतिम रचना है जिसका प्रकाशन सन् 2004 ई. में हुआ लिखा है। इसका बिन्दुवार विवरण इस प्रकार है।
कथा-सूत्र एक संस्मरणात्मक चरित्र प्रधान उपन्यास है।
इसका नाम कथा-सूत्र लिखना इसमें विभिन्न कथानकों के सूत्रों की समाहिती लगती है जिसमें स्वयं के पारिवारिक आख्यानों के साथ पुलिस विभागीय क्रियाकलापों का खुलासा हुआ है।
उपन्यास का नायक नारायन स्वयं लेखक ही है।
कथावस्तु का गठन इस प्रकार हुआ है कि इसके विभिन्न सूत्रों के होते हुये भी सशक्त है। इसका नायक उदात्त चरित्र, सत्य-निष्ठा वाला है।
इसमें समाज के धर्म-कर्म उत्सों का सटीक वर्णन है। तथा पुलिसिया घाल-मेल को परत दर परत उजागर किया है।
उपन्यास ‘कथा-सूत्र’ के पात्र व सम्वाद कथानक के अनुरूप हैं। जिसकी एक झलक इस प्रकार है-
(अ) “हुजूर इसमें मेरा कोई दोष नहीं है।
मैं निर्दोष हूँ। दीवान गिड़गिड़ा कर बोला।
तुम नहीं तो और कौन दोषी है?
हुजूर ! क्या बताऊँ… बड़ों का मामला है।
ऊपर से जैसा हुक्म आया, उसकी तामील करदी।”
(ब) साब छः फीट का फासला लेकर इस डकैत को गोली मार दीजिये। आपको बहादुरी का पदक मिल जायेगा- दारोगा ने कहा पकड़े गये को गोली से मार देना? ऐसा मैं नहीं कर सकता। ऐसे पदक हमें नहीं चाहिये ।
उपर्युक्त दो उदाहरणों से पुलिस ऐनकांउटरों के अन्दर की बात और ‘ऊपर के हुक्म’ के पदों का स्वतः पटाक्षेप हो जाता है। आपका निधन 31 मई 2004 को हुआ।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।