शिक्षा – एम.ए. (हिन्दी) साहित्य रत्न (प्रयाग) एम.डी.बी.एच.
पेशा – चिकित्सा
काव्य – तापसी
उपन्यास – परित्यक्ता तथा अपराजिता
कहानी संग्रह – जीवन पथ, आकांक्षा
डॉ. छाया श्रीवास्तव के साहित्य पर बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल से पी.एच. डी. 2017
विषय – छाया श्रीवास्तव का “साहित्य एक विश्लेषण” 2017
साठोत्तरी काल नारी विमर्श, नारी संवेदना, की दृष्टि से गुणात्मक परिवर्तन के लिये अभिज्ञात है। इस में देश, समाज में उभरते प्रश्न, विरोधों विरुपताओं के घेरों में घिरी नारी की अस्मिता के विवर्त परिलक्षित होते हैं। जिसने संवेदनशील लेखकों द्वारा उसकी दशा के बिम्बों को उकेर कर एक नई दिशा देने के प्रयत्न किए हैं। डॉ. छाया श्रीवास्तव द्वारा लिखा साहित्य इस का प्रमाण है। आप का लिखा ‘परित्यकत्ता उपन्यास सन् 1981 ई. में प्रकाशित हुआ। जिसके विषय में उसके तथ्य और कथ्य यहाँ प्रस्तुत हैं।
डॉ. छाया श्रीवास्तव द्वारा लिखा ‘परित्यक्त्ता’
एक सामाजिक उपन्यास है।
इसकी नायिका रजनी है
इसका नायक उदात्त चरित्र का रमेश है।
इसकी कथावस्तु में नारी के जीवन के विघटित कथासूत्रों में अवगुंठित है। अपने पति द्वारा परित्यक्त हो कर भी वह अदम्य धैर्य व साहस के साथ संघर्ष करती है। वह समाज के बनाये बन्धनों व प्रतिकारों के विरूद्ध लड़ाई में अन्ततोगत्वा विजयी होती है। और परित्यक्ता के दूषण को समाप्त कर पुनर्विवाह कर समाज को एक नई दिशा प्रदान करती है।
उपन्यास की भाषा कथानुरूप व पात्रानुरूप सम्वादों से अवगुंठित है। बुन्देली भाषा के शब्दों का प्रयोग और लोक-संस्कृति के उकेरे अक्स इस उपन्यास को विशिष्टता प्रदान करते हैं।
समाज के दूषण और संकीर्ण रीति-रिवाजों को ध्वस्त कर नई दिशा प्रदान इस उपन्यास में की गई है। यही इसका प्रदेय है।
अपराजिता – डॉ. छाया श्रीवास्तव का अन्य उपन्यास है। जिसमें नारी स्वत्व, स्वाभिमान और संघर्ष की कहानी है।
यह एक सामाजिक उपन्यास है।
नायिका प्रधान कथा है।
इसके पात्र – नायक सतीश , नायिका लक्ष्मी , अन्य पार्वती तथा नलिनी है।
कथावस्तु ‘बाल-विवाह’ के दूषण और समाज की सोच के इर्द-गिर्द नायक व नायिका के बीच पनपते शारीरिक तथा मानसिक अवरोधों के कारण, कारण, सम्बन्धों में पड़ती दरारों से उत्पन्न विघटन सतीश व लक्ष्मी को विलग होने को विवश करते हैं। दोनों अपने जीवन-यापन में व्यस्त होते हुये भी अतीत के सम्बन्धों से जुड़े रहते हैं। जिससे अन्त में सम्बन्धों की दूरियाँ समाप्त होती हैं और उन दोनों का पुनर्मिलन हो जाता है। लक्ष्मी अपराजिता बनती है।
5. उपन्यास की भाषा व संवाद कथानक के अनुरूप सरल हिन्दी के साथ बुन्देली के शब्दों से अवगुंठित है। इस प्रकार डॉ. छाया श्रीवास्तव ने अतीत में व्याप्त सामाजिक दूषण (बाल विवाह) को समाप्त कर एक नवीन संजीवनी प्रदान की है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।