
बानपुर
July 26, 2024
बड़ागाँव
July 26, 2024स्थिति
उ.प्र. में ललितपुर जिले के अंतर्गत, झाँसी बम्बई रेल मार्ग पर स्थित धौर्रा रेलवे स्टेशन से 2 कि.मी. पूर्व एवं ललितपुर स्टेशन पर उतरकर बस से तीस कि. मी., देवगढ़ मार्ग पर देवगढ़ से लगभग 17 कि.मी. की दूरी पर चाँदपुर स्थित है।
इतिहास
आज जंगलों के उदर में खोये निर्जन कला तीर्थ चाँदपुर और जहाजपुर कभी सशक्त सत्ता के केन्द्र थे। यहाँ की मूर्तिकला का काल दसवीं से तेरहवीं सदी रहा है।
चाँदपुर अतीत में एक समृद्धशाली नगर रहा है और इसके संस्थापक चंदेलकालीन नरेश चंद्रवर्मन थे। यहाँ के मंदिरों का निर्माता वत्सराज गोत्र में उत्पन्न उदयपाल माना जाता है।
उल्लेखनीय यह है कि चाँदपुर में चंदेली कलात्मकता के साथ धार्मिक सहिष्णुता के भी दर्शन होते हैं। यही कारण है कि यहाँ जैन मंदिरों के साथ हिन्दु मंदिर भी वन्दनीय हैं।
पुरातत्व
इस तीर्थ पर जैन मंदिर, रेलवे स्टेशन के एक ओर अवस्थित हैं। वस्तुतः यहाँ अब केवल भग्वानेश ही अतीत की गाथा सुनाते हैं क्योंकि कुछ कलावशेष मात्र विद्यमान हैं।
शांतिनाथ जिनालय (एक)
यह मंदिर तो साधारण है परन्तु बारह फुट उत्तुंग तीर्थंकर शांतिनाथ की कायोत्सर्ग प्रतिमा दर्शनीय है। पादपीठ पर शासनदेव गरुण व शासन देवी महामलसी उत्कीर्ण हैं। द्वार पर भी नवग्रह, नागी, शाल भंजिका आदि उत्कीर्ण हैं।
शांतिनाथ मंदिर (द्वितीय)
इस अवशिष्ट मंदिर में 17 फुट उत्तुंग शांतिनाथ की विशालकाय कायोत्सर्ग प्रतिमा है। पाद पीठ पर युगल हिरण एवं सिंह, दाहिनी ओर कल्पवृक्ष एवं तीर्थंकर मूर्तियों का अंकन है। मंदिर के बाहर 24 मूर्तियाँ विद्यमान हैं।
गर्भगृह के आगे स्थित मण्डप, इस की पंचायतन शैली का प्रतीक है। उपरोक्त दोनों मंदिरों के अतिरिक्त उत्तर पश्चिम की ओर एक मंदिर के भग्नावशेष रूप में चार स्तम्भों पर एक वितान है। अन्य स्थानों पर कुछ शिलालेख और खण्डित मूर्तियाँ ही बिखरी पाई जाती हैं। अनेकों महत्वपूर्ण मूर्तियाँ एवं शिला लेख यहाँ से उठवाकर झाँसी स्थित रानी महल के संग्रहालय में संग्रहित कराये गये हैं जिनसे चाँदपुर की समृद्ध और गौरवपूर्ण शिल्पकला प्रदर्शित होती है।