दया दीक्षित
September 23, 2024वन्दना अवस्थी दुबे
September 23, 2024जन्म – 29 नवम्बर 1963 ई.
जन्म स्थान – पन्ना
जीवन परिचय –
वर्तमान पता – एम-111 शांतिविहार रजाखेड़ी सागर- 470004
शिक्षा – एम.ए. (प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व) एम.ए. (मध्य कालीन भारतीय इतिहास) पी-एच.डी. (खजुराहो की मूर्तिकला का सौंदर्यात्मक अध्ययन)
कहानी संग्रह – बाबा फरीद अब नहीं आते। तीली तीली आग । बधाई की चिट्ठी। राख तरे के अंगरा (बुन्देली)
नवगीत संग्रह – आँसू बूँद चुए।
आत्म कथ्य – खण्ड काव्य
न्यायालयिक विज्ञान की नई चुनौतियां (शोध ग्रंथ)
उपन्यास – पिछले पन्ने की औरतें , कस्बाई समोन, पचकौड़े , शिखंडी सामाजिक आलेख आदि
समकालिक हिन्दी उपन्यासों की अन्तर्वेदी प्रवृत्ति से निकल कर धीर-धीरे समाज में फैले विवर्तों का सोदेश्य खुलासा कर उसके परिवेश को एक नई दिशा देने के सद् प्रयत्न हुये। बुन्देलखण्ड में आंचलिक उपन्यासों में क्षेत्रीय परिवेश पर उपन्यास कारों का ध्यान केन्द्रित हुआ। जिनके लेखन में अनछुये प्रकरणों को अनावृत्त किया गया। डॉ. शरद सिंह के उपन्यासों में यही सब देखने को मिलता है। जो उनके कथा साहित्य के फैलाव में दृष्टिगत होता है। पिछले पन्ने की औरतें में डॉ. शरद सिंह का प्रयास समाज की अंतिम छोर पर खड़ी नारी को अगली पंक्ति में लाने का सम्भवतः हो सकता है।
डॉ. शरद सिंह के अन्य उपन्यासों में कस्बाई सिमोन पचकौड़ी और शिखण्डी है। जिनमें कस्बों के बदबूदार परिवेश और आपसी द्वन्द्वों का चित्रण है। शिखण्डी उपन्यास में कमोवेश समाज और व्यक्ति की नकारात्मकता को उजागर करने का साहस उपन्यास लेखिका ने किया है। इस प्रकार डॉ. शरद सिंह के उपन्यासों में स्वातंत्र्योत्तर महिला कथा लेखन में नारी स्वत्व, की दशा को उजागर कर एक नई दिशा देने का प्रयत्न किया गया है।