पेशा – से.नि. स्नातकोत्तर महा विद्यालय पूर्व निदेशक, मुक्तिबोध पीठ, सागर वि.वि. सागर
वर्तमान पता – चंडीजी वार्ड, हटा, जिला-दमोह (म.प्र.)
शिक्षा – एम.ए. पी-एच.डी.
पिता – पं. काशीराम दुबे
रचना – बिहारी सतसई का सांस्कृतिक अध्ययन
काल मृगया (ललित निबन्ध)
सार्थक रेडियो रूपक
नाम बिन चीन्हें
लोक आख्यान परम्परा और परिदृश्य
उपन्यास – दाखिल खारिज
सोनफूला
पहाड़ी की पातें
मरे न माहुर खाय
(1) उपन्यास दाखिल खारिज सन् 1992-93 ई. में प्रकाशित कृति है। इसमें न्याय-अन्याय व सामाजिक द्वन्द्वों का अच्छा चित्रण लेखक ने किया है।
(2) सोन फूला दुबे जी का अन्य उपन्यास है। जिसमें दमोह जिले के आदिवासी क्षेत्रों की मानवीय समस्यायें एवं संत्रासों का सटीक चित्रण किया गया है इसके साथ यहाँ की बोली, संस्कृति व परम्पराओं का यथार्थ चित्रण लेखक ने किया है। पात्र व संवाद कथानकानुसार गठित किये गये हैं।
(3) पहाड़ी की पातें- डॉ. श्याम सुन्दर दुबे का चर्चित उपन्यास हैं चूँकि लेखक स्वयं उच्च शिक्षा विद हैं। अतएव इस उपन्यास में उपन्यासकार ने पर्वतीय क्षेत्र की शिक्षा विसंगतियों का यथार्थ चित्रण किया है। डॉ. दुबे के साहित्यिक लेखन की यही विशेषता है।
(4) मरे न माहुर खाय- भारत विभाजन की त्रासदी का दस्तावेज है।
अन्य रचनाएँ –
नवगीत- रीते खेत में बिजूका 1997
काव्य संकलन –
इतने करीब से देखो
ऋतुएँ जो आदमी के भीतर है
धरती के अनन्त चक्करों में।
ललित निबन्ध –
काल विदूषक
संकलन –
काल विदूषक
विषाद बांसुरी की टेर 1997
राम-रंग-रस भींजी चुनरिया 2010
निबन्ध –
31 निबन्धों का संकलन
प्रकाश चेतना का शारदीय पर्व
राम-सेतु-आधुनिका के बीच के पुल
लोक परक- रचनाएँ
बुन्देलखण्ड की लोक कथाएँ
भारत की नदियाँ
लोक प्रकाशन परम्परा एवं प्रवाह
डॉ. श्याम सुन्दर दुबे को लेखन-शैली बड़ी प्रभावी है। इन उपन्यासों में उनकी भाषा-भाव-कथा विन्यास क्षेत्र परिस्थितियों के अनुरूप है। आपके उपन्यासों के पात्र व उनके संवाद स्थानीय परिवेश के हैं। इसलिये वे पाठकों के साथ तत्सम तादात्म्य स्थापित कर लेते हैं। आपके लेखन की रूचिता-शुचिता और यथार्थता के कारण ही आप हिन्दी साहित्य जगत में बहुचर्चित हैं।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।