मैत्रेयी पुष्पा
September 21, 2024लक्ष्मी शर्मा
September 23, 2024जन्म – 12 दिसम्बर 1944 ई.
जन्म स्थान – ग्राम बरतलाई,दमोह (म.प्र.)
जीवन परिचय –
पेशा – से.नि. स्नातकोत्तर महा विद्यालय पूर्व निदेशक, मुक्तिबोध पीठ, सागर वि.वि. सागर
वर्तमान पता – चंडीजी वार्ड, हटा, जिला-दमोह (म.प्र.)
शिक्षा – एम.ए. पी-एच.डी.
पिता – पं. काशीराम दुबे
रचना – बिहारी सतसई का सांस्कृतिक अध्ययन
- काल मृगया (ललित निबन्ध)
- सार्थक रेडियो रूपक
- नाम बिन चीन्हें
- लोक आख्यान परम्परा और परिदृश्य
उपन्यास – दाखिल खारिज
- सोनफूला
- पहाड़ी की पातें
- मरे न माहुर खाय
(1) उपन्यास दाखिल खारिज सन् 1992-93 ई. में प्रकाशित कृति है। इसमें न्याय-अन्याय व सामाजिक द्वन्द्वों का अच्छा चित्रण लेखक ने किया है।
(2) सोन फूला दुबे जी का अन्य उपन्यास है। जिसमें दमोह जिले के आदिवासी क्षेत्रों की मानवीय समस्यायें एवं संत्रासों का सटीक चित्रण किया गया है इसके साथ यहाँ की बोली, संस्कृति व परम्पराओं का यथार्थ चित्रण लेखक ने किया है। पात्र व संवाद कथानकानुसार गठित किये गये हैं।
(3) पहाड़ी की पातें- डॉ. श्याम सुन्दर दुबे का चर्चित उपन्यास हैं चूँकि लेखक स्वयं उच्च शिक्षा विद हैं। अतएव इस उपन्यास में उपन्यासकार ने पर्वतीय क्षेत्र की शिक्षा विसंगतियों का यथार्थ चित्रण किया है। डॉ. दुबे के साहित्यिक लेखन की यही विशेषता है।
(4) मरे न माहुर खाय- भारत विभाजन की त्रासदी का दस्तावेज है।
अन्य रचनाएँ –
नवगीत- रीते खेत में बिजूका 1997
काव्य संकलन –
- इतने करीब से देखो
- ऋतुएँ जो आदमी के भीतर है
- धरती के अनन्त चक्करों में।
ललित निबन्ध –
- काल विदूषक
संकलन –
- काल विदूषक
- विषाद बांसुरी की टेर 1997
- राम-रंग-रस भींजी चुनरिया 2010
निबन्ध –
- 31 निबन्धों का संकलन
- प्रकाश चेतना का शारदीय पर्व
- राम-सेतु-आधुनिका के बीच के पुल
लोक परक- रचनाएँ
- बुन्देलखण्ड की लोक कथाएँ
- भारत की नदियाँ
- लोक प्रकाशन परम्परा एवं प्रवाह
डॉ. श्याम सुन्दर दुबे को लेखन-शैली बड़ी प्रभावी है। इन उपन्यासों में उनकी भाषा-भाव-कथा विन्यास क्षेत्र परिस्थितियों के अनुरूप है। आपके उपन्यासों के पात्र व उनके संवाद स्थानीय परिवेश के हैं। इसलिये वे पाठकों के साथ तत्सम तादात्म्य स्थापित कर लेते हैं। आपके लेखन की रूचिता-शुचिता और यथार्थता के कारण ही आप हिन्दी साहित्य जगत में बहुचर्चित हैं।