जीवन परिचय – मैत्रेयी पुष्पा की कर्म भूमि बुन्देलखण्ड है। आप की उच्च शिक्षा झाँसी के बुन्देलखण्ड महाविद्यालय में हुई। जहाँ मैत्रेयी को किताबी ज्ञान तो मिला ही साथ में यहाँ का परिवेश विद्यालयीन अनुभव से अवगत होना भी रहा। झाँसी के ग्रामीण अंचलों में व्याप्त वर्ग विभेद, नारी अस्मिता के टूटते-जुड़ते सम्बन्ध और जन-जातीय जीवन के ऊहापोह के यथार्थों ने पुष्पा जी को बहुत प्रभावित किया है जो आपके साहित्य-सृजन में परिलक्षित हुआ है।
साहित्य-सृजन – मैत्रेयी पुष्पा का सृजन कथा-साहित्य से शुरू हुआ है। इस काल में यथार्थवादी व अति यथार्थवादी उपन्यासकारों का एक विस्तृत तंत्र सामने आया जिसने प्रगतिवादी, नारी अस्मिता के साहित्य को आगे बढ़ाया। इनमें वामपंथी सोच का समावेश है। पुष्पा जी के उपन्यासों में यही सब की अभिव्यक्ति हुई है।
उपन्यास – मैत्रेयी पुष्पा के लिखे उपन्यासों की सूची लम्बी है। जो इस प्रकार है-
स्मृति दंश (1990 ई.)
बेतवा बहती है (1993 ई.)
इदन्नमम (1994 ई.)
चाक (1997 ई.)
झूठा नट (1999 ई.)
अल्मा कबूतरी (2000 ई.)
कही ईसुरी फाग (2004 ई.)
त्रिया हठ (2005 ई.)
अगन पाखी
गोमा हँसती है।
कस्तूरी कुंडल बसे (आत्म कथा)
विजन
गुनाह-बेगुनाह आदि है।
अन्य –
कहानी- लालमनियां, चिन्हा, पियरी का सपना आदि हैं।
आलेख- सुनो मालिक सुनो, चर्चा, खुली खिड़कियाँ आदि है।
आत्मकथा-दो भाग- • कस्तूरी कुंडल बसे और गुड़िया भीतर गुड़िया
इस प्रकार मैत्रेयी पुष्पा ने हिन्दी गद्य के समकालीन रूपों में लेखन किया है। परन्तु पुष्पा जी वास्तव में एक उपन्यासकार के रूप में साहित्य के इतिहास में प्रस्थापित हैं। उनके उपन्यासों में नारी अस्मिता को प्रधानता दी गई है। इसके साथ ही आपके उपन्यासों में बुन्देलखण्ड के लोक जीवन एवं लोकरंजन की लोकानुभूति देखने को मिलती है। जिसमें उपन्यासकार मैत्रेयी ने शोषित, उपेक्षित, अभावग्रस्त समाज प्रमुखतः नारी अस्मिता की रक्षा हेतु लड़ने का साहस दिखाया है। जो उनके प्रमुख उपन्यासों में परिलक्षित है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।