ग्रन्थ – रामचन्द्राभरण, राम भूषण, अलंकार चंद्रिका, पिंगल प्रकरण।
कविवर गोप का पूरा नाम ‘गोपाल दास भट्ट’ था। आप बुन्देलखण्ड निवासी श्री यदुराय भट्ट के आत्मज थे। आपने अपने काव्य में तत्कालीन काव्यानुरूप रचनाओं का निर्माण किया। जिसमें वीरता, धीरता, भक्ति और शृंगार का अनुपम समावेश हुआ है। आपकी भाषा सरल-सुबोध और बुन्देली भाव भूमि पर आधारित है। आपकी प्रतिभा की खोज बाद में हुई। सर्वप्रथम गोप कवि के साहित्य का प्रकाशन सं. २०३७ वि. में डॉ. मोहनलाल गुप्त ‘चातक’ के शोध-पत्र में देखने को मिलता है। इससे पूर्व गौरीशंकर द्विवेदी ‘शंकर’ ने इनके नाम का उल्लेख अवश्य किया और इनके जन्म कालं सं. १७५० निर्धारित किया था। आप बाद में ओरछेश महाराज पृथ्वीसिंह के राजश्रय में रहे। जो कवि की इस पदावली से प्रकट होता है-
“नगर ओडछे आइके पृथ्वीसिंह न्रम पास,
बैठ जग्यसाला सरस कीन्हों ग्रंथ प्रकाश।”
राजाश्रय – कवि गोप ने अपने काव्य में ओरछा नरेश पृथ्वीसिंह के राजाश्र का उल्लेख किया और अपने ग्रंथ रामचन्द्रा भरन की रचना की। जो इस पद में देखने को मिलता है –
“मुक्त मुक्त जाते बने उक्त जुक्ति जस ओप।
रामचन्द्र आभरन कौ वरन कहै कवि गोप।”
कविता – कविवर गोप ने अपने समय के अनुसार श्रृंगार भक्ति-शक्ति-गति-रीति आदि सभी काव्य रूपों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया है। श्रृंगार काल की प्रधानता उनके काव्य में प्रमुखता से देखने को मिलती है जिसमे उपमा-उपमेय-अलंकारों का ढंग दर्शन होता है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।