
अरग
July 30, 2024
सूर्य भगवान की स्तुति
July 30, 2024उठो श्री कृष्ण भये भिनसारे, गउअन के बँध खोलो सक़ारे,
उठो मोरी राधा रैन रही थोड़ी, राधा कन्हैया की अविचल जोड़ी
उठ के कन्हैया प्यारे मुकुट सवारें, उठ के राधा प्यारी बेंदी संवारे
उठ बैठो हरि चरन परत हैं, मैया जसोदा की गाय दुहाओ
काहे के गडुआ काहे जल पानी, काहे की दातौन करत बिहारी
सोने के गडुआ गंगा जल पानी, लोंग की दातौन करत बिहारी
ततहड़ नीर सुगन्ध उपटनों, स्नान करो मोरे कंज बिहारी
धोती ओ पन्ना राधिका लाई, पाहुनियाँ ललिता सखि लाई
सपर खोर हरि तिलक संजोये, उज्जवल अक्षत माथे चढ़ाये
सपर-खोर हरि बैठे अथइयों, मॉय जसोदा लेती बलैंया
धरम शिला पर बैठी जसोदा, अपने कन्हैया को रचती कलेवा
चच्चर पप्पर सेव सिंगारे, मालपुआ मन मोहन प्यारे
यंजन-व्यंजन और निगोना, बेसन के दस बीसक दोना
निबुआ पोल धरो ठिग आधो, भोजन करहु मनोहर माधो
सोने के थार परोसे जसोदा, रूपे कचुरलन दूध भर ल्याई
जेवे कन्हैया जिमावें जसोदा, बाउ डुरे उनकी रूकमिन राधा
जेवत जेवत बड़ी रूचि बाढ़ी, करियत ख्याल दूसरो माई
काहे मोरे कृष्ण और कछु लेहो, फेनन ऊपर बूरो लेहो
अरी-२ मइया मोहे कछुआ न भावे, भूरी भैस को दहिया री भावे
जैय जूठि हरि अचवन लागे, सोने को खिरचा सहुद्रा लाई
जैय जूठि हरि बाहर आये, राय तमोलन पान खवाये
संज्ञा मालिन गजरा पहराये, ललिता सखि ने इत्र लगये
डार अंगोछी चले चितसारी, आगे…आगे… कृष्णा पीछे राधा प्यारी
काहे के पलंग काहे के पाये, काहे के पाट भराये मॅगाये
सोने के पलंग रूप के पाये, रेशम पाट भराये मगाये
बिमल सेज पौढे बनवारी, चंपति चरण राधिका प्यारी
बार…बार… हरि बिनती करत हों तिरिया जनम जिन दइयो हमारो
तिरिया जनम हरि हीन होत है, कैसे के परहों हरि चरण तुम्हारे
तिरिया जनम राधा सुफल होत है, नित उठो परहो तुम चरण हमारे
जो हरि तिरिया जनम तुम दइयो, जो जैसो मॉगे, जिये जैसो दइयो
राजा जनक से बाबुल दइयो, रानी सुनयना सी माता दइयो
लक्ष्मी नृप से भइया दइयो, सिद्ध सरल भोजाई दइयो
बाल मुकुंद भतीजे दइयो, रूमक झुमक उनकी दुल्हन दइयो
गंगा जमुना दोई बहनें दइयो, अर्जुन से बहनोई दइयो
इतनो कुटुम्ब मोरे मायके को दइयो, अब ससुराल को वर्णन करियो
राजा दशरथ से ससुरा दइयो, रानी कौशिल्या सी सासो दइयो
चंदा सूरज से जेठा दइयो, बारी सी ननदी झगडवे को दइयो
रामचंद्र भरतार दइयो, लक्षमण से बारे देवरा दइयो
देवरानी जेठानी को मिलनो दइयो, बारो सो देवरा ररियन दइयो
पाँच पुत्र की माता करियो, कन्या एक धरम को दइयो
एक छत्र राज पुरख को दइयो, धन की कुठरियों बिलसवे को दइयो
बद्रीनाथ नसेनी करियो, जगन्नाथ को अटका करियो
गोबर धन की गऊएँ करियो, बृन्दावन की रजनी करियो
इतनो देव तो मानस करियो, नहि तर मथुरा को पथरा करियो
बिटियाॅ गावें घर पर पावें, बहुएँ गावें गोद खिलावें
बुढिया गावें जनम सुधारे, तर बैकुन्ठ बसेरो पावे
जो जा आरत भोरई गावे, सो श्री कुष्णा के दर्शन पावे
जो जा आरत दुफरे गावे, सो हरि के पनवारे पावे
जो जा आरत संजा के गावे, सो हरि के सुख सेज लगावे
कृष्णा की आरती कृष्णा को सोहे, राधा की आरत सब जग मोहे।।
अब पूरा समूह अपनी पूर्व निश्चित वेदिका के समीप एकत्र हो जाता है। एक सयानी महिला वेदिका पर वस्त्र का चौकोर टुकड़ा फैलाकर उस पर रेणुका (गंगा जी की बालू) से राधाकृष्ण की आकृति बनाना प्रारंभ करती है। समूह ‘उठो मोरे किशना भये भुनसारे……. जरा मोहे जागरण स्तुति’ गीत का गायन प्रारंभ करती हैं। आकृति निर्मित हो जाने पर विधिवत् धूप, दीप, पुष्प आदि से पूजा अर्चना होती है। नैवेद्य लगाते समय – “धर्मशिला पर बैठी, जसौदा, अपने कनैया जू खाँ रचती कलेवा” गीत गाया जाता है।
कलेवा
चगन, मगन मन प्यारे लाल कीजिए कलेवा… २
सीकें पे छाँछ धरी ऊपर से थाली ढकी
बॉध लेव फेंट श्याम, खींच लेवे मेवा, चगन मगन………..
चकई और मोर डोले, हंस और परेवा
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, घरइ काहे न खेला
करो गऊअन की सेवा। चगन मगन…………….
दही का
लेलो-२ बिहारी नन्द लाल हो दहिया मेरो लेलो….२
कोना शहर की सुगर ग्वालिन, कहा तुम्हारो नाम हो….२
गोकुल शहर की सुगर ग्वालिन, ललिता हमारो नाम हो….२
कोरी कोरी मटकी में दहिया जमायो, पानी न डारो एक बूँद हो..२
कहा सेर तेरो दहिया बिकत है, कहा सेर तेरो दूध हो..२
रूपया सेर मेरो दहिया बिकत है, दूध बिके अनमोल हो..२
न दही खट्ओ ना दही मीठो, शक्कर न डारी एक कौर हो..२
दहिया…। लेलो-२ बिहारी नन्द लाल हो
ज्योनार
जेवन आए कृष्ण कन्हैया, आज हमारे द्वारे जी।
सब सखियों मिल परोसन लागी, गावें मीठी गारी जी।।
मोहन भोग मगद के लडडू, सेव सलोनी न्यारी जी।
चावल की रसखीर बनाई, मधुर मलाई डारी जी।।
खट्टी कढ़ी करेला कुदर्खे, केला फल फलहारी जी।
गरी बादाम छुहारे पिस्ता, किशमिश दाख अपारी जी।।
उज्जवल भांति भटा को भरता, भांति भांति तरकारी जी।
उज्जवल रोटी मही मैदा सी, धृत में बोर निकारी जी।।
राम कृष्ण जी जेवन बैठे, कहा कहों ज्योनारी जी।
सब सखियाॅ मिल अचवन करायें, कर पुछवावें सारी जी।।
जो जेवनार राम जी को गावे, ता मुख की बलिहारी जी।
लीन्ह प्रसाद सभी सखीयन मिल, पावें सब नर नारी जी।।
राम कृष्ण जी जेवन आये, आज हमारे द्वारे जी।।
अचवन
अचवन करत किशोर किशोरी, अचवन करत….किशोरी किशोरी
कर अचवन चौकी पर बैठे, सो भली जा बिराजत जोड़ी
मित्र सुदामा वसन ले आये, सो मुख पोंछत यदुराई अचवन….किशोरी किशोरी
लक्ष्मी ल्याई पान को बीड़ा, सो नारद बीन बजाई अचवन….
ईजय विजय सुख सेज लगाई, सौ पौढ़े राधा-कन्हाई अचवन…किशोरी किशोरी
पान
बीड़ा देऊंगी लगाय रस पानन की, कच्चे पक्के पान धरे डिब्बा में
लौंग सुपाड़ी तेरे नाम की, बीड़ी…..
आओ कन्हैया प्यारे चौपड़ खेलें, बाजी लगाऊॅ तेरे नाम की
हारूं तुम्हारे संग चलूॅगीं, जीतू तो जाने न देऊगी, बीड़ी……..
पड़ गए दांव उलट गए पांसे, बेटी तो जीती वृषभान की, बीड़ी…..
झेला
डारो री राधे पर झेला
काहे के फूल काहे की माला, काहे की डोर लगाऊँरी, राधे…….
बेला के फूल चमेली की माला, रेशम डोर लगऊँगी, राधे….…
कौन सखी गजरा मुँह ल्याई, कौन सखी पहराये री, राधे….
ललिता सखी गजरा मुँह ल्याई, राधा सखी पहराये री, राधे….
बिच हीरा, बिच लाल लगे हैं, बिच री मेरो कृष्ण अकेला, डारो….
कौन सखी संग रहस रचाये, कौन सखी संग नाचे री
ललिता सखी संग रहस रचाये, राधा सखी संग नाचेरी, राधे…..
डारो री राधे पर, झेला….२