
ललितपुर
July 26, 2024
देवगढ़
July 26, 2024ललितपुर में स्टेशन रोड़ पर स्थित क्षेत्रपालजी वस्तुतः एक प्राचीन क्षेत्र ही है जहाँ 12वीं शताब्दी से लेकर वर्तमान तक की अगणित तीर्थकर मूर्तियाँ अत्यन्त कलात्मक एवं भव्य हैं। एक विशाल परकोटे में तेरह जिनालय हैं प्रवेश करते ही सामने संवत् 1243 की प्रतिष्ठित 4 फुट ऊँची पद्मासन प्रतिमा तीर्थंकर अभिनन्दन नाथ की विद्यमान है, नीचे यहीं क्षेत्रपालजी की स्थापना है। बरामदे के स्तम्भ पर चन्द्रप्रभु की प्राचीन मूर्ति है। मंदिर संख्या 3 में वि.सं. 1223 की श्वेत पाषण प्रतिमा है।
पुरातत्व
क्षेत्र पर स्थित भोंयरे (भू-गृह) में पाषाण भित्ति में ही अनेक जिन बिम्ब न केवल प्राचीन हैं वरन् सुन्दर भी हैं। पार्श्वनाथ स्वामी की 6 फुट ऊँची खड़गासन मूर्ति चट्टान में ही उकरी है। बाहुबलि स्वामी की मूर्ति सचमुच मनोहारी है। कुल 12 तीर्थंकर और 35 शासन देवताओं की मूर्तियाँ भू गृह में दर्शनीय हैं।
मंदिरों के पूर्व क्रम में आठवें जिनालय में वि.सं. 1706 की 7 फुट ऊँची पार्श्वनाथ की खड़गासन प्रतिमा के प्रतीक नाग के सात फणों युक्त वाला यह बिम्ब अत्यन्त ओजपूर्ण है। वर्तमान में भी इस क्षेत्र में अनेक आकर्षक जिन बिम्बों की स्थापना की जा चुकी है। उत्तुंग मानस्तम्भ क्षेत्र प्रांगण में अवस्थित हैं। धर्म शालाओं की उत्तम व्यवस्था है। उदासीन आश्रम और सभागृह भी विद्यमान हैं। क्षेत्र से संलग्न प्रांगण में प्रतिष्ठित श्रीवर्णी जैन कॉलेज है जिसका इस सम्पूर्ण जनपद में अपना उल्लेखनीय गौरव है।