
झॉंसी जिले में, झॉंसी खजुराहो मार्ग पर बरवासागर ‘जरायमठ’ सूर्य मंदिर
July 2, 2024
टीकमगढ़ जिले में एक स्थान है ऊमरी का सूर्य मंदिर
July 2, 2024टीकमगढ़ जिले (म.प्र.) में मुख्यालय से 16 किलोमीटर उत्तरपश्चिम में स्थित एक ग्राम है-मड़खेरा। यहॉं गॉंव के दक्षिणपूर्व में लगभग तीन फुट ऊँची प्रस्तर पीठिका पर एक पूर्वाभिमुखी सूर्य मन्दिर है। मंदिर का अधिष्ठान, वेदिबंध तथा सूर्य ढांचा लाल बलुआ पत्थर का है। वर्गाकार खण्ड का शिखर मेरु के आकार का है। सामने एक सिंह है, जिसके दो पैरों के नीचे हाथी दबा हुआ था, जिसे मूर्ति चोरों ने चोरी के इरादे से नीचे उत्तार लिया था, वह इसे ले नहीं जा सके तत्पश्चात इसे मंदिर के पीछे एक घर में रख दिया गया है। गर्भगृह के आगे दो अलंकृत स्तम्भों पर अर्द्धमण्डप बना है, इसकी छत पर पूर्ण विकसित कमल उकेरा गया है।
मण्डप चतुरस्त्र तथा तीन ओर से खुला हुआ है। स्तम्भ के सिरे पर कलश तथा लताबल्लरियां बनी है। अलंकृत प्रवेशद्वार है। जिसके दाहिनी ओर मकरारूढ़ा गंगा तथा बांयी ओर कच्छपरूढ़ा यमुना हैं। गर्भगृह में सामने ही सूर्य की सप्ताश्वरथारूढ़ पद्मपीठ पर प्रतिष्ठित आदमकद स्थानक प्रतिमा है। जिसकी ऊँचाई 4 फुट 7 इंच है। पीछे प्रभामण्डल है। सिर पर मुकुटकिरीट, कर्णकुण्डल, कण्ठहार, कटिमेखला है। भारतीय वेष धोती तथा उत्तरीय धारण किये हुये हैं। भुजाओं में अंगद सुशोभित हैं। पैर खण्डित हैं किन्तु उंगलियॉं न दिखने से ‘उपानह पहने होंगे ऐसा अनुमान किया जा सकता है। दोनों ओर उनकी रानियॉं राज्ञी तथा निभुक्षा एवं दण्ड पिंगल हैं। मंदिर के भीतर तथा बाहरी दीवारों पर सूर्य एवं अनेक देव प्रतिमायें हैं। लोकवार्ता के संपादक स्व० कृष्णानन्द गुप्त इसे गुप्तकालीन मानते हैं” जबकि परिष्कृत मूर्तिशिल्प प्रतिहारकालीन प्रतीत होता है।