टीकमगढ़ जिले (म.प्र.) में मुख्यालय से 16 किलोमीटर उत्तरपश्चिम में स्थित एक ग्राम है-मड़खेरा। यहॉं गॉंव के दक्षिणपूर्व में लगभग तीन फुट ऊँची प्रस्तर पीठिका पर एक पूर्वाभिमुखी सूर्य मन्दिर है। मंदिर का अधिष्ठान, वेदिबंध तथा सूर्य ढांचा लाल बलुआ पत्थर का है। वर्गाकार खण्ड का शिखर मेरु के आकार का है। सामने एक सिंह है, जिसके दो पैरों के नीचे हाथी दबा हुआ था, जिसे मूर्ति चोरों ने चोरी के इरादे से नीचे उत्तार लिया था, वह इसे ले नहीं जा सके तत्पश्चात इसे मंदिर के पीछे एक घर में रख दिया गया है। गर्भगृह के आगे दो अलंकृत स्तम्भों पर अर्द्धमण्डप बना है, इसकी छत पर पूर्ण विकसित कमल उकेरा गया है।
मण्डप चतुरस्त्र तथा तीन ओर से खुला हुआ है। स्तम्भ के सिरे पर कलश तथा लताबल्लरियां बनी है। अलंकृत प्रवेशद्वार है। जिसके दाहिनी ओर मकरारूढ़ा गंगा तथा बांयी ओर कच्छपरूढ़ा यमुना हैं। गर्भगृह में सामने ही सूर्य की सप्ताश्वरथारूढ़ पद्मपीठ पर प्रतिष्ठित आदमकद स्थानक प्रतिमा है। जिसकी ऊँचाई 4 फुट 7 इंच है। पीछे प्रभामण्डल है। सिर पर मुकुटकिरीट, कर्णकुण्डल, कण्ठहार, कटिमेखला है। भारतीय वेष धोती तथा उत्तरीय धारण किये हुये हैं। भुजाओं में अंगद सुशोभित हैं। पैर खण्डित हैं किन्तु उंगलियॉं न दिखने से ‘उपानह पहने होंगे ऐसा अनुमान किया जा सकता है। दोनों ओर उनकी रानियॉं राज्ञी तथा निभुक्षा एवं दण्ड पिंगल हैं। मंदिर के भीतर तथा बाहरी दीवारों पर सूर्य एवं अनेक देव प्रतिमायें हैं। लोकवार्ता के संपादक स्व० कृष्णानन्द गुप्त इसे गुप्तकालीन मानते हैं” जबकि परिष्कृत मूर्तिशिल्प प्रतिहारकालीन प्रतीत होता है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।