प्राणी/जीव जन्तु संबंधी पहेलियाँ
July 27, 2024शरीर संबंधी पहेलियाँ
July 29, 2024
अँधयारे घर में दई को छिटका।
आकाश के तारे
अगन कुंड में घर किया, जल से कियो निकास।
धुंआ
अँधयारे घर में बाबा बँधे ठाँड़े।
झाड़
उल्टे खोवा दही जमाओ।
कपास की कली, बोंडी
ऊपर से है गोल गोल, नैचे है चपटी।
बता मोरी कानियाँ, नई तोरी मताई नकटी।
बता मोरी कानियाँ, नई तोरी मताई नकटी।
पानी की बूंद
एक रुख में हँसिअई हँसिया ।
इमली का वृक्ष
एक रुख में खसखस दाने ।
सफेद घुंघच्
एक रुख अगड़धत्ता जीकें जड़ न पत्ता।
अमर बेल
एक मोरो मामा, औ सात मोरी माई।
मामा रे मामा तेनें सबरी न्योराई ।।
मामा रे मामा तेनें सबरी न्योराई ।।
कुंआ
एक रुख सर्रउआ, जापे बैठे चील न कउवा ।
धुंआ
एक जानवर ऐसा सो सबई जानवर खाय।
पानी देखे मर रहे, कौन जनावर आय।।
पानी देखे मर रहे, कौन जनावर आय।।
आग
एक रुख में पथरई पथरा ।
कैंथा का वृक्ष
एक रुख सर्रउआ, लरकन की किलर बिलर
पत्तन कौ दुखिया ।
पत्तन कौ दुखिया ।
करील
एक चिरइया रंग विरंगी बैठी बन की डार।
कासो जू कौ जोरौ पैरे काजर की झनकार ।।
कासो जू कौ जोरौ पैरे काजर की झनकार ।।
घुँघचू
एक चीज पानी के ऊपर जा में ही रिपट परे।
काई
एक रुख में क्योलई क्योला।
जामुन का वृक्ष
एक बटुआ रैन भरो।
अंगीठा नामक वृक्ष का फल
कारे पहार पै रकत कौ बूँदा ।
घुँघची
कारो खेत कवर की मांटी, जीमें ठाँडे हिन्ना हाती ।
राजा रोवे सिया पुकारे, ऐसो है कोऊआन बिड़ारे।
राजा रोवे सिया पुकारे, ऐसो है कोऊआन बिड़ारे।
सूरज
कल्लू कल्लू कल्लरिया जी में लाल दामोदरिया।
लंबी लंबी लपकेगा तब रस का बूँदा टपकेगा।
लंबी लंबी लपकेगा तब रस का बूँदा टपकेगा।
ढाक का फूल
खाई है चींखी नइयाँ ।
खाई
चंदा कैसी चाँदनी, सूरज कैसी जोत,
तोरें होय तौ दे सखी, मोरे आये संत।
तोरें होय तौ दे सखी, मोरे आये संत।
आग
टाठी भर राई सबरे गाँव बगराई।
तारे
डार न पात, सघन घन छाया।
कुकुरमुत्ता
तनक सी हरदी, घर भर मल दी।
प्रकाश
तरें बस्ती, ऊपर मैदान।
ऊमर का वृक्ष
तनक सी हड्डी किले में बड्डी।
तारा
दिया भर राई सबरे गाँवं विर्राई।
तारे
देख सखी देख सखी मैं बड़ी भोरी,
हात छुअत की लग गई चोरी।
इतै होय न हाट विकाय, ताके लाने पिया रिसायें।
हात छुअत की लग गई चोरी।
इतै होय न हाट विकाय, ताके लाने पिया रिसायें।
ओला
नाय गई मायँ गई, लाल बीजा गाड़ गई।
आग
न्योर के उठाओ न्योर के धर दओ।
गिरमा, रस्सा
पंद्रा आये पावनें, बरा पकाओं एक,
पंद्रा को दओ थोरो-थोरो एक को दओ एक।
पंद्रा को दओ थोरो-थोरो एक को दओ एक।
चन्द्रमा
एक मोरे मामा हजार मोरे भाई।
वाह रे मोरे मामा लाखन निहुराई ।।
वाह रे मोरे मामा लाखन निहुराई ।।
कुंआ
एक चिरैया रंग-बिरंगी, बैठी बर की डार।
कश्मीरी को लांगा पैरें, मोती की झलकार ।।
कश्मीरी को लांगा पैरें, मोती की झलकार ।।
छेवले का फूल
अतलसिल बतलसिल सलोसिल खजूर
खुदा का घर देखो तो कितनी दूर,
ऊपर से गिरे तो नीचे चकनाचूर।
खुदा का घर देखो तो कितनी दूर,
ऊपर से गिरे तो नीचे चकनाचूर।
ओला
एक फूल ऐसा न राजा के राज का न माली के बाग का
चाँद
अड़गड़ बाजै, कुंभ रास ।
शंख
सर्र सर्र सूतरी, सरकाने वाला कौन ?
दुर्गा चली मायकें, लौटाने वाला कौन ?
दुर्गा चली मायकें, लौटाने वाला कौन ?
नदी
बिना पाँव पर्वत चढ़े, बिन मुख भोजन खाय।
एक अचम्भो हम सुनो, जल पीवत मर जाय ।
एक अचम्भो हम सुनो, जल पीवत मर जाय ।
आग
एक पेड़ अड़धत्ता जाके, पीड़ न पत्ता ।
अमरबेल
एक लुगाई आताताई, आधी रातै बिटिया जाई,
भोर को पारौ होन न पाओ बिटिया ने एक लरका जाओ।
भोर को पारौ होन न पाओ बिटिया ने एक लरका जाओ।
चमेली
देख सखी देख सखी मैं बड़ी भोरी,
हाथ छुये की लग गई चोरी।
इन देसन न हाट विकाँय, जिनके लाने पिया रिसाँय।
हाथ छुये की लग गई चोरी।
इन देसन न हाट विकाँय, जिनके लाने पिया रिसाँय।
ओला
बेला भर राई, सबरे हार फैलाई।
तारागण
पहुने आये पंद्रा जने, बरा बनाओ एक।
सबको परसो आधो-आधो एक को परसो एक।
सबको परसो आधो-आधो एक को परसो एक।
चन्द्रमा
चन्दा कैसी चाँदनी सूरज कैसी जोत ।
तेरें होय तो दे सखी मेरे आय संत ।।
तेरें होय तो दे सखी मेरे आय संत ।।
अग्नि
ऐड़ी बेंड़ी लकरी पहाड़ चढ़ो जाय ।
धुंआ
गहरे जले में घड़ा न बूडे, हाथी खड़े नहाय ।
गोड़ मूंड से पीपर भींजै बैल पियासो जाय ।।
गोड़ मूंड से पीपर भींजै बैल पियासो जाय ।।
ओस
एक गाँव में लाखन कुँआ, लाखन है पनहार।
जाकौ अर्थ बताय देओ, तब परसोंगी थार।
जाकौ अर्थ बताय देओ, तब परसोंगी थार।
बर्र का छत्ता
दो अक्षर को नाम है, जानै सकल जहान ।
एक ठौर में बैठि कै, लेत राम को नाम ।।
एक ठौर में बैठि कै, लेत राम को नाम ।।
ध्रुव
घर उपजै न हाट बिकाय,
हाथ में लेओ सो झट घुर जाय।
हाथ में लेओ सो झट घुर जाय।
ओला
अजब तरह की है एक नार, उसका क्या मैं करूँ विचार ।
दिन वह डूबे पी के संग, लाग रहे निस बाके अंग ।।
दिबा बरै तो वह सरमाय, ढक से सरक वह दूर हो जाय ।।
दिन वह डूबे पी के संग, लाग रहे निस बाके अंग ।।
दिबा बरै तो वह सरमाय, ढक से सरक वह दूर हो जाय ।।
परछाई