जीवन परिचय – कविवर राजाराम साहू विक्रम का जन्म महरौनी (ललितपुर) में सन् 1941 ई. में 23 सितम्बर को हुआ था। आपके पिता महरौनी के प्रसिद्ध जमींदार राव गंगा प्रसाद साहू थे। संप्रति आप 47 सागर गेट, झाँसी में निवास कर रहे हैं। आपने एम.ए. (हिन्दी) साहित्य रत्न, एवं संपादन कला विशारद की परीक्षाएँ उत्तीर्ण की हैं। काव्य-प्रणयन एवं चित्रकला के प्रति आपका रुझान सन् 1954 के लगभग हो गया था।
सन् 1966 ई. में बुदेलखण्ड रामायण महासभा द्वारा आपको कविभूषण की उपाधि से सम्मानित किया गया था। विक्रमजी आजीवन पठन पाठन, सामाजिक एवं राजनीतिक चिंतन में तन्मय रहे हैं जिसकी इनके काव्य में स्पष्ट झलक दृष्टिगोचर होती है। आपके प्रकाशित ग्रंथ इस प्रकार हैं-
शोषितों का मसीहा, डॉ. मैथिलीशरण गुप्त कृत सिद्धराज में राष्ट्रीय एकात्म्य, बुदेली संस्कृति और संघीय भारत की परिकल्पना, राष्ट्र कवि की भारत भारती कितनी राष्ट्रीय, विविधा , बोल बुंदेली बोल , बुन्देल सतसई (प्रकाशनाधीन)
अप्रकाशित ग्रंथ – स्वप्नों की हत्या, मुक्तक , हिन्दी के शब्द, छन्द और मात्राएँ , गाते आँसू रोते गीत, पंचगीत, सन्दर्भ गन्धा, दस्यु समर्पण है , देव मनुष्य और राक्षस, इंदिरा से इंदिरा गाँधी तक , हिन्दुस्तानी मुजाहिद , झाँसी जनपद के सात कवि , शरत का सर्व श्रेष्ठ उपन्यास चरित्रहीन, दायज प्रथा , आंग्ल भारती , गायरी , राज गीत , सर्वहारा , नये सोब , लाला की रजिस्ट्री, सुमनांजलि , गद्य गन्धा, तुम मिलोगे , गीत मेरे- गीत तेरे।