ग्रन्थ – राजधर सतसई प्रमुख है। इसका प्रारम्भ सं. १७६४ अगहन सुदी ५ सोमवार और ग्रन्थ की पुष्पिका में समाप्ति सं. १७६६ दर्शाया है –
(१) संवत् सत्रह सौ बरस चारु चौसठादीस।
मारग सुदितिथि पंचमी वारु वरन रजनीस।
(२) संवत् १७६६ माह वदि ९ मुकामु
औड़दौ पोथी श्री राउ राजद्धर जू की।
कविवर राजधर का जन्म प्रसिद्ध ओरछा के मिश्रवंश में हुआ था। जिसमें कवीन्द्र केशवदास थे। इसका प्रमाण सतसई के इस दोहे में मिलता है –
“मिश्र वंश कवि भूप सौ राजद्धर करि नेहु।
अति प्रसन्न मन कै कहयौ सतसैया कर देहु ।।”
इसी वंश परम्परा की शोध में डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त ने अपने शोध प्रबंध “हिन्दी काव्य में श्रृंगार परम्परा और महाकवि विहारी” में केशवदास को बिहारी का पिता माना है। चन्द्रकांत हयारण ने राजधर को सतसई के आधार पर महाकवि केशव का वंशधर निरूपित किया है। जो माहौर अभिनन्दन ग्रन्थ पृष्ठ ५७ में दर्शाया है। यह एक विलक्षण संयोग है कि आचार्य केशवदास के कुल में दो महाकवि हुये। जिन्होंने ‘सतसई’ ग्रन्थों की रचना की है। ये है बिहारीलाल और राजघर। बिहारी ने अपने एक दोहा में इस ओर संकेत दिया है
“प्रगट भये द्वित राज कुल सुबंस बसे ब्रज आई।
मेरे हरौ कलेश सब केसब केसब राइ।।”
किन्तु पूर्ववर्ती साहित्य में ‘राइ’ के स्थान पर ‘राय’ शब्द की स्थापना से इस संकेत को सही नहीं माना, किन्तु अस्वीकार भी नहीं किया। किन्तु शोधार्थियों ने इसे सिद्ध कर – जो आधार दिये है वे पर्याप्त लगते है।
(१) केशवदास का जीवन काल सं. १६१८वि. से सं. १६८० है और बिहारीलाल (दास) का जन्म सं. १६५२वि. व मृत्युकाल सं. १७२० वि. है। यह पिता पुत्र सम्बन्ध के अनुकूल है।
(२) केशव दास मिश्र के वर्तमान वंशज मथुरा प्रसाद मिश्र के पास प्राप्त वंश वृक्ष में केशव के पांच पुत्र थे जिनमें बिहारीदास ज्येष्ठ थे। इसी वंशावतार में राजधर मिश्र माने गये है
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।