इस प्रकार महारानी गणेश कुंवरि द्वारा प्रभु श्रीराम को सं. १६६१वि. चैत्र शुक्ल ९वी सोमवार को ओरछा लाई और तभी से अयोध्या की भांति राम जन्मोत्सव प्रतिवर्ष राम नवमी को ओरछा में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। मधुकर शाह ने सं. १६३१ वि. से सं. १६४९ वि. तक राज्य किया। किन्तु ओरछाधिपति श्री राजाराम का राज्य अखण्डगति से आज भी चल रहा है। कवि के उद्गार इस प्रकार है –
“राजा मधुकर शाह की रानी कुंवरि गनेश।
अवधपुरी से ओरछा ल्याई अवध नरेश।।”
महारानी रामभक्त के साथ-साथ कवि हृदय भी रही। उस समय टीकमगढ़ साहित्य गोष्ठियों का गढ़ रहा। इसमें महाराजा मधुकर शाह स्वयं उपस्थित होकर कवियों का आदर और मान-सम्मान बढ़ाते थे। महाराज और महारानी अपने इष्ट के प्रति कविता भाव प्रकट करते थे। उस समय ओरछा एक तीरथधाम, टीकमगढ़, संस्कृति और कुशल शासन का केन्द्र बना। इसी के अंतर्गत आगे कुण्डेश्वर साहित्य तीर्थ और पत्र ‘मधुकर’ साहित्य का मुख्य पत्र बनकर बुन्देली भाषा साहित्य (गद्य और पद्य) का पथ-प्रदर्शक बना। इसमें सुविख्यात साहित्यकार पं. बनारसी दास चतुर्वेदी, आदि इसके अग्रदूत बने। इस प्रकार बुन्देली में सार्थक एवं सुन्दर साहित्य की रचना का निर्माण हुआ। राम कृष्ण काव्य रूपी सरित प्रवाह वेत्रवती के तट पर अवाध गति से चल पड़ा जो आज भी उसी भाव से इस क्षेत्र में विद्यमान है। स्वयं महाराज मधुकर शाह ने ओरछा को वृन्दावन माना है। उनकी इस कविता में तदर्थ है-
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।