
एलीढेली की कथा
July 31, 2024
सोमवार की कथा
July 31, 2024एक सास, बहू थीं। बहू के पति स्वंय सूर्य भगवान के अवतार थे। वह हर समय घूमते फिरते रहते थे। वह थोड़ी देर के लिए घर आते फिर चले जाते थे। वह जब भी घर आते अपनी माँ और पत्नी को एक-एक हीरा दे जाते थे। उसी से उनका खर्च चलता था। उसका नाम सूर्यबली था। एक दिन माँ ने कहा कि तुम जो हीरा हम दोनों को दे जाते हो उससे घर खर्च नहीं चलता हमें और चाहिए। लड़के ने कहा ऐसा कैसे हो सकता है जितना में तुम्हें देता हूँ उससे तो उम्र भर का खर्च चल सकता है पर तुम लोगों को संतोष नहीं है इसलिए में घर में ठहरता नहीं हूँ। फिर उन दोनों ने विधिपूर्वक बारह वर्षों तक कार्तिक स्नान किये। वारहवें वर्ष में बहू ने सूर्यबली से कहा कि हमें कार्तिक का उद्यापन करना है। सूर्यदेव की कृपा से उनका घर धनधान्य से भर गया। सास बहू दोनों का पूजन व उद्यापन पूरा हुआ। प्रसन्न होकर सूर्य भगवान ने बहू को दर्शन दिये और कहा जो वरदान माँगना है माँग लो। बहू ने कहा मेरे पति मुझसे दूर रहते हैं।
मुझे उसके संयोग का वरदान दीजिए, भगवान तथास्तु कहकर कर अंर्तध्यान हो गये। रात हुई सूर्यबली ने अपनी मॉं से कहा आज से मैं घर में ही सोऊँगा। बहू बहुत खुश हुई। उसने सेज बिछाई और सूर्य भगवान उसमें आकर लेट गये। 6 माह तक सोते रहे। सारे संसार में अंधेरा छा गया। सब देवता व्याकुल होकर बुढ़िया के घर दौड़कर आये उन्होंने अपने पुत्र को जगाने की प्रार्थना की। माँ ने जाकर अपने पुत्र को जगाया। उन्होने बाहर आकर देवताओं से कहा जब तक सास बहु कार्तिक स्नान करेंगी इनके घर में दूध की गंगा रहेगी और ऋद्धि-सिद्धि इनके घर में वास करेगी। सभी देवताओं ने उनके आदेश स्वीकार किया। कार्तिक स्नान करने वाली सभी स्त्रियों के यहाँ सभी देवताओं का वास रहता है व ऋद्धि सिद्धि हमेशा रहती हैं। सभी पापों का नाश होता है।
।। सूर्य देव भगवान की जय ।।