एक सास, बहू थीं। बहू के पति स्वंय सूर्य भगवान के अवतार थे। वह हर समय घूमते फिरते रहते थे। वह थोड़ी देर के लिए घर आते फिर चले जाते थे। वह जब भी घर आते अपनी माँ और पत्नी को एक-एक हीरा दे जाते थे। उसी से उनका खर्च चलता था। उसका नाम सूर्यबली था। एक दिन माँ ने कहा कि तुम जो हीरा हम दोनों को दे जाते हो उससे घर खर्च नहीं चलता हमें और चाहिए। लड़के ने कहा ऐसा कैसे हो सकता है जितना में तुम्हें देता हूँ उससे तो उम्र भर का खर्च चल सकता है पर तुम लोगों को संतोष नहीं है इसलिए में घर में ठहरता नहीं हूँ। फिर उन दोनों ने विधिपूर्वक बारह वर्षों तक कार्तिक स्नान किये। वारहवें वर्ष में बहू ने सूर्यबली से कहा कि हमें कार्तिक का उद्यापन करना है। सूर्यदेव की कृपा से उनका घर धनधान्य से भर गया। सास बहू दोनों का पूजन व उद्यापन पूरा हुआ। प्रसन्न होकर सूर्य भगवान ने बहू को दर्शन दिये और कहा जो वरदान माँगना है माँग लो। बहू ने कहा मेरे पति मुझसे दूर रहते हैं।
मुझे उसके संयोग का वरदान दीजिए, भगवान तथास्तु कहकर कर अंर्तध्यान हो गये। रात हुई सूर्यबली ने अपनी मॉं से कहा आज से मैं घर में ही सोऊँगा। बहू बहुत खुश हुई। उसने सेज बिछाई और सूर्य भगवान उसमें आकर लेट गये। 6 माह तक सोते रहे। सारे संसार में अंधेरा छा गया। सब देवता व्याकुल होकर बुढ़िया के घर दौड़कर आये उन्होंने अपने पुत्र को जगाने की प्रार्थना की। माँ ने जाकर अपने पुत्र को जगाया। उन्होने बाहर आकर देवताओं से कहा जब तक सास बहु कार्तिक स्नान करेंगी इनके घर में दूध की गंगा रहेगी और ऋद्धि-सिद्धि इनके घर में वास करेगी। सभी देवताओं ने उनके आदेश स्वीकार किया। कार्तिक स्नान करने वाली सभी स्त्रियों के यहाँ सभी देवताओं का वास रहता है व ऋद्धि सिद्धि हमेशा रहती हैं। सभी पापों का नाश होता है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।