
टीकमगढ़ जिले में एक स्थान है ऊमरी का सूर्य मंदिर
July 2, 2024
छतरपुर जिले के चार सूर्य मन्दिर
July 2, 2024सागर जिले में रेहली नगर, सागर से दक्षिणपूर्व में 40 किलोमीटर दूर स्थित है। सोनारनदी के दोनों तटों के किनारे बसा यह नगर प्राचीन एवं ऐतिहासिक है। इस नदी के बांए तट पर भग्नदुर्ग पढरीनाथ मन्दिर तथा प्राचीन सूर्यमन्दिर हैं। आठवीं नवीं सदी के ध्वस्त इस मंदिर का पुनर्निर्माण 18 वीं शती में मरहठा शासकों के समय में हुआ है। पास में पड़े अवशेषों तथा पुनर्प्रयुक्त सामग्री देखकर यह अनुमान लगाना सहज ही है कि इस सूर्य मंन्दिर के निकट, शिव, विष्णु, तथा सूर्य के मन्दिर रहे हैं और उनकी भवन सामग्री का इस मंदिर के पुनर्निर्माण में पर्याप्त उपयोग हुआ है। तथापि यह प्राचीन सूर्य मन्दिर के नाम से ही जमा जाता है।
वर्तमान सूर्यमन्दिर लगभग डेढ़ फुट ऊँची पीठिका पर बना है। इसका प्रवेशद्वार अलंकृत है जिसके सिरदल पर सुन्दर नटराज प्रतिमा प्रतिष्ठित है। इससे यह अनुमान है कि यह हिस्सा किसी शिवमन्दिर से लाकर यहॉं प्रयुक्त हुआ है। दॉंये बॉंये पार्श्व में कच्छप वाहिनी यमुना तथा मकरवाहिनी गंगा के अतिरिक्त द्वार पार्श्व लतावितान आदि से अलंकृत हैं। मन्दिर के वर्गाकार गर्भगृह में प्रमुख देवस्थान पर भगवान सूर्य की स्थानक प्रतिमा प्रतिष्ठित है। सूर्य के दोनों ओर एक एक विष्णु की प्रतिमा स्थापित है। सूर्यप्रतिमा द्विभुजी है। दोनों हाथों में सनाल पद्म हैं। किरीटमुकुट, मकरकुण्डल, कवर, केयूर, केकड़, वक्षबंध यज्ञोपवीत कटिसूत्र, उत्तरीय तथा उपानह धारण किये हैं। पीछे अलंकृत अण्डाकार प्रभामण्डल हैं सूर्य के दॉंयी ओर कलम पकड़े पिंगल तथा बांयी ओर खड्ग लिये दण्डी अंकित हैं। इसी पंक्ति में भीतर की ओर क्रमशः दॉंये बॉंये निभुक्षा एवं राज्ञी हैं। मूर्ति का माप 1.30 मीटर x80 मीटर है। काल 9वीं 10 वीं शती है।