सागर जिले में रेहली नगर, सागर से दक्षिणपूर्व में 40 किलोमीटर दूर स्थित है। सोनारनदी के दोनों तटों के किनारे बसा यह नगर प्राचीन एवं ऐतिहासिक है। इस नदी के बांए तट पर भग्नदुर्ग पढरीनाथ मन्दिर तथा प्राचीन सूर्यमन्दिर हैं। आठवीं नवीं सदी के ध्वस्त इस मंदिर का पुनर्निर्माण 18 वीं शती में मरहठा शासकों के समय में हुआ है। पास में पड़े अवशेषों तथा पुनर्प्रयुक्त सामग्री देखकर यह अनुमान लगाना सहज ही है कि इस सूर्य मंन्दिर के निकट, शिव, विष्णु, तथा सूर्य के मन्दिर रहे हैं और उनकी भवन सामग्री का इस मंदिर के पुनर्निर्माण में पर्याप्त उपयोग हुआ है। तथापि यह प्राचीन सूर्य मन्दिर के नाम से ही जमा जाता है।
वर्तमान सूर्यमन्दिर लगभग डेढ़ फुट ऊँची पीठिका पर बना है। इसका प्रवेशद्वार अलंकृत है जिसके सिरदल पर सुन्दर नटराज प्रतिमा प्रतिष्ठित है। इससे यह अनुमान है कि यह हिस्सा किसी शिवमन्दिर से लाकर यहॉं प्रयुक्त हुआ है। दॉंये बॉंये पार्श्व में कच्छप वाहिनी यमुना तथा मकरवाहिनी गंगा के अतिरिक्त द्वार पार्श्व लतावितान आदि से अलंकृत हैं। मन्दिर के वर्गाकार गर्भगृह में प्रमुख देवस्थान पर भगवान सूर्य की स्थानक प्रतिमा प्रतिष्ठित है। सूर्य के दोनों ओर एक एक विष्णु की प्रतिमा स्थापित है। सूर्यप्रतिमा द्विभुजी है। दोनों हाथों में सनाल पद्म हैं। किरीटमुकुट, मकरकुण्डल, कवर, केयूर, केकड़, वक्षबंध यज्ञोपवीत कटिसूत्र, उत्तरीय तथा उपानह धारण किये हैं। पीछे अलंकृत अण्डाकार प्रभामण्डल हैं सूर्य के दॉंयी ओर कलम पकड़े पिंगल तथा बांयी ओर खड्ग लिये दण्डी अंकित हैं। इसी पंक्ति में भीतर की ओर क्रमशः दॉंये बॉंये निभुक्षा एवं राज्ञी हैं। मूर्ति का माप 1.30 मीटर x80 मीटर है। काल 9वीं 10 वीं शती है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।