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June 25, 2024
गोरा (टीकमगढ़) का सूर्य मंदिर
July 2, 2024उनाव का सूर्यमन्दिर बालाजी सूर्यमन्दिर के नाम से विख्यात है। इसे ब्रह्म बालाजी या बरमाजू का मन्दिर भी कहते हैं। लोक में मान्यता है कि यह बाल+अर्क बाल-सूर्य अर्थात् यह उदीयमान सूर्य का मन्दिर है। यह दतिया से झॉंसी बरास्ता गुजर्रा दतिया से 17 किलोमीटर पूर्व तथा झॉंसी से 11 किलोमीटर उत्तर में पुष्पावती (पहूज) तट पर स्थित है। पहूज मन्दिर के चरण पखारती है। नदी तट से मंदिर में पहँचने के लिये 42 सीढ़ियां है। इस सूर्य मंदिर में काले रंग के एक शिलाखण्ड पर चक्राकार सूर्य यंत्र प्रतिष्ठित है। यह यंत्र पत्थरों तथा ईंटों से बने चबूतरे पर इस प्रकार प्रतिष्ठित है कि सूर्य चाहे उत्तरायण से या दक्षिणायन उसकी प्रथम किरण इस यंत्र पर अभिषेक करती है। यह यंत्र पीतल की चादर से मढ़ा हुआ है। वृत्ताकार यंत्र के किनारों पर 21 छोटे छोटे त्रिकोण सूर्य की विभिन्न कलाओं के द्योतक हैं। इसके मूल निर्माण काल का पता नहीं चलता है। इस बारे में अनेक चमत्कारपूर्ण जनश्रुतियां हैं दतिया गजेटियर के अनुसार इसका पुनःनिर्माण एवं विस्तार 1844 ई. में कराया गया। यह विशाल परकोटे के अंदर स्थित है। परकोटे के अंदर यात्री-विश्रामालय तथा मंदिर कर्मियों के आवास हैं। इसका पूर्वाभिमुखी मुख्य द्वार पहूज की ओर है। बुंदेलखंड के इतिहासवेत्ता डा. काशीप्रसाद त्रिपाठी इसे कुषाणकालीन मानते हैं। मेरे अनुमान से पूर्व विवेचन के अनुसार यह ईसा की पूर्व प्रथम शती से भी पहले का है।