उनाव का सूर्यमन्दिर बालाजी सूर्यमन्दिर के नाम से विख्यात है। इसे ब्रह्म बालाजी या बरमाजू का मन्दिर भी कहते हैं। लोक में मान्यता है कि यह बाल+अर्क बाल-सूर्य अर्थात् यह उदीयमान सूर्य का मन्दिर है। यह दतिया से झॉंसी बरास्ता गुजर्रा दतिया से 17 किलोमीटर पूर्व तथा झॉंसी से 11 किलोमीटर उत्तर में पुष्पावती (पहूज) तट पर स्थित है। पहूज मन्दिर के चरण पखारती है। नदी तट से मंदिर में पहँचने के लिये 42 सीढ़ियां है। इस सूर्य मंदिर में काले रंग के एक शिलाखण्ड पर चक्राकार सूर्य यंत्र प्रतिष्ठित है। यह यंत्र पत्थरों तथा ईंटों से बने चबूतरे पर इस प्रकार प्रतिष्ठित है कि सूर्य चाहे उत्तरायण से या दक्षिणायन उसकी प्रथम किरण इस यंत्र पर अभिषेक करती है। यह यंत्र पीतल की चादर से मढ़ा हुआ है। वृत्ताकार यंत्र के किनारों पर 21 छोटे छोटे त्रिकोण सूर्य की विभिन्न कलाओं के द्योतक हैं। इसके मूल निर्माण काल का पता नहीं चलता है। इस बारे में अनेक चमत्कारपूर्ण जनश्रुतियां हैं दतिया गजेटियर के अनुसार इसका पुनःनिर्माण एवं विस्तार 1844 ई. में कराया गया। यह विशाल परकोटे के अंदर स्थित है। परकोटे के अंदर यात्री-विश्रामालय तथा मंदिर कर्मियों के आवास हैं। इसका पूर्वाभिमुखी मुख्य द्वार पहूज की ओर है। बुन्देलखण्ड के इतिहासवेत्ता डा. काशीप्रसाद त्रिपाठी इसे कुषाणकालीन मानते हैं। मेरे अनुमान से पूर्व विवेचन के अनुसार यह ईसा की पूर्व प्रथम शती से भी पहले का है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।