कवि सुन्दर ग्वालियर निवासी थे और शाहजहॉं के दरबारी कवि बाद में बने । इनको ‘कविराय’, महाकविराय की उपाधियों से नवाजा गया था आपकी कविता की श्रृंगार-छटा देखिये।
“काके गए बसन पलटि आए बसन,
मेरो कछु बसन रसन उर लाये हौ।
भौहै तिरछौ है कवि सुन्दर सुजात सोहै,
कछू अलसो है; गौहै जाके रस पातो हौ।
परसों मै पाथ हुते परसों मै पाथ गहि
परसौ पाय निसि जाके अनुरागे हौ।
कौन बनिता के हौ जू कौन बनिता के हौ सु
कौन बनिता के वनिता के संग अरगे हौ ?”
श्रृंगार के कवियों ने बड़े ही सुन्दर काव्य की रचना की है जिनके विषय में अब उल्लेख किया जायेगा। इस समय श्रृंगार काव्य सारे वातावरण को श्रृंगारमय बनाना प्रारम्भ कर दिया था। यद्यपि अन्य रस काव्य भी अपनी छटा बिखेर रहे थे। श्रृंगार-शक्ति और भक्ति की त्रिवेणी के पुरोधा कवियों में बिहारी, भूषण, मंडन मिश्र, प्राणनाथ आदि श्रृंगार के तीर-वीर रस के वाणों और भक्ति से संतृप्त रचनाओं से समाज को नेतृत्व प्रदान कर रहे थे। आक्रमणों, अव्यवस्थाओं से दुखी जनों को बिहारी श्रृंगार का सुखदाई लेप लगा रहे थे तो भूषण मंडन मिश्र बुन्देली आन-बान-शान की रक्षा हेतु काव्य हुंकार देकर उन्हें सजग कर रहे थे। इस द्वन्दमयी वातावरण में प्राणनाथ, भक्ति की अलख जगाये थे।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।