देवी दयाल चतुर्वेदी ‘मस्त’
September 20, 2024राम विलास शर्मा
September 20, 2024जन्म – 1 सितम्बर 1912 ई.
निधन तिथि – 10 अक्टूबर 2000 ई.
जीवन परिचय – प्रेमचन्दोत्तर काल के उपन्यासकारों में यशपाल एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। आपकी कर्म-भूमि कुण्डेश्वर जिला टीकमगढ़ (म.प्र.) रही है। अतएव बुन्देलखण्ड के सृजनात्मक साहित्य के उनके योगदान को देखते हुये उन्हें ‘बुन्देलखण्ड के उपन्यासकारों में गिना गया है। सन् 1940 से 1946 के कुण्डेश्वर प्रवास में यशपाल के साहित्य सृजन की नींव पड़ी। मधुकर पाक्षिक पत्र के सह-सम्पादकत्व के साथ विभिन्न बुन्देलखण्ड के जन-जीवन से जुड़े अनेक आलेख प्रकाशित हुये। अहार लड़वारी, अहार आन्दोलन, अभागा, स्व. घासीराम व्यास (संस्मरण) एक उपयोगी ग्रंथ (आलोचना) विविध, अंक परिचय (बु. प्रां. निर्माण) बालाद्वाप में ‘जौहर’ प्रमुख हैं।
बुन्देली भाषा में एक कहानी की उपलब्धि के साथ यशपाल को पुत्री अनन्दा एवं पुत्र सुधीर की प्राप्ति इसी समय हुई। इसीलिये यशपाल मानते हैं-“इसका श्रेय उस महान भूमि को है जहाँ धर्म-संस्कृति और साहित्य की त्रिवेणी का संगम रहा है।” 1940-50 के दशक में सर्जनात्मक शक्ति के रूप में यशपाल उभर कर सामने आये। आपकी सृजित कहानियां एवं उपन्यास इसके प्रमाण हैं।
कहानी – नई दुनिया, साधु-महात्मा (बुन्देली भाषा में)
उपन्यास – दिव्या , बारह घंटे , दादा कामरेड , झूठा सच , तेरी मेरी उसकी बातें , मनुष्य के रूप , देश द्रोही
उद्देश्य – यशपाल अपने इन उपन्यासों के सृजन में मानते हैं-“उपन्यासों के माध्यम से सामाजिक विचारों और समकालीन विचारधारा में तारतम्य रखना है।” इस प्रकार उनके सृजन में उनके विचारों का यही दर्शन है। यही सब विचार उनके सृजन की अभिव्यक्ति है। जो उनके उपन्यासों में परिलक्षित होती है। दिव्या- यह कल्पना पर आधारित ऐतिहासिक उपन्यास है। उपन्यासकार ने इसे मार्क्सवादी दृष्टि को जोड़कर लिखा है।