यशपाल जैन
September 20, 2024रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’
September 20, 2024
जीवन परिचय –
कर्म स्थान – सदर बाजार, झाँसी (उ.प्र.)
निधन – 30-5-2000 ई.
शिक्षा – उच्च शिक्षा, पी.एच.डी.
पेशा – समालोचक, साहित्यकार
उपन्यास – चार दिन
डॉ. रामविलास शर्मा बुन्देलखण्ड की माटी में पले-पुसे यहाँ से शिक्षा-दीक्षा ग्रहण कर आगे स्नातक-स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त कर पी.एच.डी. प्राप्त की। आपने झाँसी की साहित्य-भूमि की सेवा कर इसे गौरव प्रदान किया। जिसका सारभूत सत्व यहाँ प्रस्तुत है।
समालोचना – समालोचना एक नवीन विधा है। जिसके प्रति डॉ. राम विलास शर्मा आकर्षित हुये। आपने द्विवेदी युगीन काव्य को समालोचना का आधार बनाया। इसमें तुलसीदास, निराला प्रभृति कवियों के काव्यों की विस्तृत समालोचना प्रस्तुत कर यथातथ्य कथ्य को निरूपित किया। आपके समकालीन डॉ. नामवर सिंह भी इस क्षेत्र के बड़े समालोचक रहे।
लीला नाट्य – डॉ. राम विलास शर्मा ने झाँसी के रामलीला में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। डॉ. शर्मा ने सदर बाजार झाँसी की प्राचीनतम रामलीला की पटकथा व संवाद लिखे। जो आज भी लीला नाट्य के आधार बने हुये हैं।
समीक्षा – डॉ. राम विलास शर्मा ने समीक्षा क्षेत्र में अपना अनुपमेय योगदान दिया है। लोक कवि ईसुरी पर आगरा से 18-10-1959 को लिखे उनके विचार स्पष्ट हैं-
“वास्तव में ईसुरी की रचनाएँ इस दोहरी नैतिकता के प्रति एक विद्रोह है। उन्हें जीवन से, जीवन के आनन्द से, यौवन, उल्लास, ऐंद्रिय बोध के संसार से इतना प्रेम है कि वे बार-बार सामाजिक-निषेध की दीवार से टकराते हैं” आदि
उपन्यास – आप हिन्दी गद्य की एक और नवीन विधा “उपन्यास” क्षेत्र में पदार्पण कर अपना लिखा उपन्यास “चार दिन” से साहित्य की श्री वृद्धि करते रहे हैं।
नाटक – पाप के पुजारी जो सन् 1936 में प्रकाशित हुआ।
कविता संग्रह – सदियों के सोये, जाग उठे जो 1998 में प्रकाशित हुआ।
डॉ. राम विलास शर्मा का कृतित्व अत्यन्त विशद है।