जीवन परिचय – प्रेमचन्दोत्तर काल के उपन्यासकारों में यशपाल एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। आपकी कर्म-भूमि कुण्डेश्वर जिला टीकमगढ़ (म.प्र.) रही है। अतएव बुन्देलखण्ड के सृजनात्मक साहित्य के उनके योगदान को देखते हुये उन्हें ‘बुन्देलखण्ड के उपन्यासकारों में गिना गया है। सन् 1940 से 1946 के कुण्डेश्वर प्रवास में यशपाल के साहित्य सृजन की नींव पड़ी। मधुकर पाक्षिक पत्र के सह-सम्पादकत्व के साथ विभिन्न बुन्देलखण्ड के जन-जीवन से जुड़े अनेक आलेख प्रकाशित हुये। अहार लड़वारी, अहार आन्दोलन, अभागा, स्व. घासीराम व्यास (संस्मरण) एक उपयोगी ग्रंथ (आलोचना) विविध, अंक परिचय (बु. प्रां. निर्माण) बालाद्वाप में ‘जौहर’ प्रमुख हैं।
बुन्देली भाषा में एक कहानी की उपलब्धि के साथ यशपाल को पुत्री अनन्दा एवं पुत्र सुधीर की प्राप्ति इसी समय हुई। इसीलिये यशपाल मानते हैं-“इसका श्रेय उस महान भूमि को है जहाँ धर्म-संस्कृति और साहित्य की त्रिवेणी का संगम रहा है।” 1940-50 के दशक में सर्जनात्मक शक्ति के रूप में यशपाल उभर कर सामने आये। आपकी सृजित कहानियां एवं उपन्यास इसके प्रमाण हैं।
कहानी – नई दुनिया, साधु-महात्मा (बुन्देली भाषा में)
उपन्यास – दिव्या , बारह घंटे , दादा कामरेड , झूठा सच , तेरी मेरी उसकी बातें , मनुष्य के रूप , देश द्रोही
उद्देश्य – यशपाल अपने इन उपन्यासों के सृजन में मानते हैं-“उपन्यासों के माध्यम से सामाजिक विचारों और समकालीन विचारधारा में तारतम्य रखना है।” इस प्रकार उनके सृजन में उनके विचारों का यही दर्शन है। यही सब विचार उनके सृजन की अभिव्यक्ति है। जो उनके उपन्यासों में परिलक्षित होती है। दिव्या- यह कल्पना पर आधारित ऐतिहासिक उपन्यास है। उपन्यासकार ने इसे मार्क्सवादी दृष्टि को जोड़कर लिखा है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।