बुन्देलखड पहाड़ी और जंगली भूभाग होने से आवागन के साधनों में पिछड़ा रहा है। टेढ़े मेंढे गहरे नाले, नदियाँ, नीचे ऊँचे घाट और दर्रें यातायात में बाधक रहे हैं। (W. Walleson-The Revolt in Central India 1857-59, P.98) नदियों पर पुल न होने से आवागमन एवं यातायात के साधन, बैलगाड़ी, घोड़ा, गधे, भैंस, भैंसा और लद्दू बैल (मर्रे) ही थे। बोझा ढोने वाले, ”बुझिया” भी सामान ले जाने का काम करते थे। मार्ग सुरक्षित न थे। पहाडि़यों की घाटियों, नदियों के घाटों एवं सूँडों में बटमार, लुटेरे और डाकू भारी संख्या में रहा करते थे।
लुटेरों में अपराध पेशा जातियाँ जैसे नट, कंजड, सड़ौरिया, खाँगट आदि थी जिन्हें सीमावर्ती गाँवों के मुखिया, जमींदार, जागीरदार, राजा संरक्षण दिये रहते थे तथा संरक्षण के बदले में लूटमार की घटनाओं में इस सीमा तक वृद्धि हो थी कि बुन्देलखण्ड ठगों की नर्सरी कहलाने लगा था। (G.R. Abrigh Maickay-The Chiefs of Central India Vol. I, P.159) ।
अंग्रेजी शासन के प्रभाव से सड़क मार्गों में कुछ सुधार हुआ था, परन्तु रेल यातायात की दृष्टि में बुन्देलखण्ड के रजवाड़े पछिड़े ही रहे हैं। राजाओं ने रेल मार्गों के निर्माण में रूचि न दिखायी, अपितु अंग्रेजी सरकार को राज्येां में से रेलमार्गों के निर्माण हेतु भूमि देने में आनाकानी किया करते थे।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।