
भागवत् श्लोक
August 7, 2024
आवागमन और यातायात
August 9, 2024बुन्देलखण्ड में प्राचीनकाल से ही सनातनी हिन्दू वर्ण व्यवस्था प्रचलित रही है। यहाँ के ग्रामीण वनाच्छादित क्षेत्रों विशेषकर पूर्वी हिस्से में शैव उपासक एवं नगरीय क्षेत्रों तथा पश्चिमी हिस्से में वैष्णव उपासना का अधिक प्रचलन रहा है। दिगम्बर जैन मतावलंबी भी यहाँ छठवीं सदी से रहे हैं परन्तु उनकी उपासना पद्धति और सामाजिक जीवन शैली हिन्दू समाज के अनुरूप ही रही है। यहाँ के लोगों में धर्मभीरूता अधिक है। धार्मिक संस्कार वैदिक रीति से सम्पन्न होते हैं।
बुन्देलखण्ड, उत्तर एवं दक्षिण भारत का संधि स्थल होने से उनके सांस्कृतिक एवं भौतिक आक्रमणों का अखाड़ा बना रहा है जिसके परिणाम स्वरूप यहाँ के समाज में जाति विभेद, भूतवाद, तंत्रवाद जैसे अंधविश्वास गहरे घर किये हुये हैं। परन्तु सांस्कृतिक एवं भौतिक आघातों को सहते-झेलते हुये यहाँ के निवासी अक्खड़ प्रकृति के धर्मभीरू हो गये। ऐसे चरित्र को दर्शाने वाली एक लोकोक्ति भी है कि ”सौ डंडी एक बुन्देलखण्डी”।