बुन्देलखण्ड विश्वकोश योजना पुस्तिका

आप सभी बुन्देलखण्ड वासियों के साथ यह तथ्य साझा करते हुए अत्यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है कि आप सभी के सहयोग से बुन्देलखण्ड विश्वकोश का निर्माण होने जा रहा है। बुन्देलखण्ड विश्वकोश निर्माण की योजना कोई नयी नहीं है, अपितु इसके निर्माण के संकल्प का श्रेय डॉ. बनारसी दास चतुर्वेदी, श्री कृष्णानंद गुप्त, ओरछा नरेश श्री वीर सिंह जूदेव को दिया जाता है, जिन्होंने सन् 1941 में बुन्देलखण्ड विश्वकोश योजना की रूपरेखा रखी। उन्होंने बुन्देलखण्ड की एक ऐसी मूर्ति निर्माण का स्वप्न देखा था जो सर्वांग, भव्य, मनोरम होने के साथ देश-दुनिया में अलग छवि बिखेरने वाली हो। यह इन्हीं मनीषियों के आशीर्वाद का प्रतिफल है कि हम सभी उनके स्वप्न को साकार करने का बीड़ा उठाने का साहस कर पाये।

बुन्देलखण्ड भारत के हृदयस्थल में स्थित है। इतिहास, पुरातत्व, कला, साहित्य एवं संस्कृति आदि की दृष्टि से अत्यंत ही समृद्ध है। क्षेत्रफल की दृष्टि से विशाल एवं व्यापक है। मध्यकाल में इस भू-भाग को बुन्देला शासकों के नाम पर कालान्तर में बुन्देलखण्ड के रूप में जाना गया। चन्देलों के पश्चात् बुन्देला नरेश महाराजा छत्रसाल ने बुन्देलखण्ड का बृहद राज्य स्थापित किया।

बुन्देलखण्ड का महत्व

भारत के मानचित्र पर अंकित बुन्देलखण्ड क्षेत्र अपनी अलग पहचान एवं अस्तित्व रखता है। इसका अतीत गौरवशाली है। ऐतिहासिक दृष्टि से जब हम बुन्देलखण्ड क्षेत्र का निरूपण करते हैं, तब अतीत के खण्डहरों में प्रसुप्त वीरों की कीर्ति गाथायें, साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक धरोहर, धरती के गर्भ में दबी अतुल सम्पदायें, त्याग-बलिदान की स्मृतियाँ पृष्ठों पर जगमगाती दिखाई देती हैं। बुन्देली धरती हमारे पितृपुरूषों की कर्मभूमि एवं चेतना भूमि रही है। उन्नीसवीं शती के उत्तरार्ध में बुन्देलियों के पुरखों ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र विशेष की संस्कृति को विस्तार देने के उद्देश्य से बहुत कार्य किया है। उनके सामने अनेक चुनौतियाँ थी। मुगलों की बादशाहत का सामना करना आसान नहीं था फिर भी वह डटे रहे। कहा जाता है ‘सौ दण्डी एक बुन्देलखण्डी’, पेशावर, लाहौर, मालवा और असीरगढ़ बुन्देलखण्डियों के नाम से काँपते थे। बीसवीं सदी की देहरी पर इसी तरह हमारे पूर्वजों ने पैर रखे। फिर अँग्रेजों की अँग्रेजियत, समाज की बुरी दशा, मुश्किल समय होने के बावजूद भी वह सतत् सक्रिय रहे।

आज बुन्देलखण्ड की भूमि आह्नान कर रही है कि हम उसके कोने-कोने से परिचित हों, हम उसकी नदियों का अध्ययन करें, वृक्षों को मित्र बनायें, शैल-शिखरों पर गोष्ठियाँ करें। साथ ही इतिहास-पुरातत्व के महत्वपूर्ण स्थलों का अन्वेषण करें, प्राकृतिक सौंदर्य से ओतप्रोत पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देते हुए लुप्त साहित्य को प्रकाश में लायें।

सोसायटी के उद्देश्य

  1. बुन्देलखण्ड से सम्बन्धित साहित्यिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, उल्लेखनीय शोधकार्यों, संस्मरणों, दस्तावेजों, नवीन संशोधित संस्मरणों, समीक्षाओं इत्यादि के प्रकाशन का कार्य करना, साथ ही सम्पूर्ण विश्वकोश का भी प्रकाशन करना।
  2. राजनैतिक, शैक्षिक, सामाजिक, रचनात्मक, सांस्कृतिक आदि विषयों पर समय-समय पर प्रतियोगिता, राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी, परिसंवाद, वाद-विवाद, नाट्य मंचन, कार्यशाला, सेमिनार व प्रशिक्षण शिविर जैसे विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना।
  3. समाज की समस्याओं, राजनैतिक, सामाजिक व अन्य गतिविधियों को समाचार पत्र, पत्रिका, न्यूज चैनल, न्यूज वेबपोर्टल एवं समाचार के अन्य माध्यमों जैसे सोशल मीडिया आदि के द्वारा जनमानस तक पहुँचाने का प्रयास।
  4. समाज के सभी वर्गों के आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं नैतिक विकास हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करना, ताकि उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त हो सके।
  5. महिलाओं, बच्चों व वृद्धों के लिए धर्मार्थ आश्रम बनाना, नारी सशक्तिकरण केन्द्रों व बाल विकास केन्द्रों की स्थापना तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगारपरक शिक्षा प्रदान करना।
  6. लोगों के लिए स्वास्थ्य केन्द्रों, पुस्तकालय, वाचनालय, व्यायामशाला, विद्यालय, मनोरंजन गृहों एवं संगीत, नृत्य व नाट्य एकेडमी की स्थापना।
  7. सामाजिक कुरीतियां जैसे- बाल विवाह, दहेज प्रथा, वेश्यावृत्ति, अंधविश्वास, छुआछूत, जातिवाद के उन्मूलन हेतु प्रचार-प्रसार कर इन सामाजिक कुरीतियों से समाज की रक्षा करने के लिए सामूहिक विवाह का भी आयोजन करना।
  8. केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही विभिन्न प्रकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार करना तथा उन योजनाओं के संचालन में भागीदार बनना।
  9. पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पर्यटकों को आकर्षित कर यहां की आर्थिक उन्नति में सहायक बनकर तथा आम जनमानस में पर्यटन व पर्यटक के महत्व को समझाना व उनसे व्यवहार के तौर-तरीकों का प्रशिक्षण देना।
  10. वृक्षारोपण, स्वच्छता, स्वच्छ पेयजल, स्वच्छ शौचालय, जल संरक्षण, मृदा संरक्षण, बायो गैस प्लांट, सौर ऊर्जा द्वारा पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने में सहायक बनना।
  11. लोगों में स्वावलम्बन एवं आत्म निर्भरता की भावना उत्पन्न करते हुये उनके लिए खादी ग्रामोद्योग आयोग/बोर्ड की तकनीकी नीतियों के शिक्षण व प्रशिक्षण की व्यवस्था करना तथा खादी ग्रामोद्योग की स्थापना कर उसे संचालित करना।
  12. सामाजिक चरित्र के विकास हेतु नाबालिग अपराध, मद्यपान, बाल-विवाह, वैश्यावृत्ति, जातिवाद, भिक्षावृत्ति, बाल श्रम, भ्रूण हत्या, नारी उत्पीड़न, निर्बलों का शोषण आदि बुराईयों का उन्मूलन करना एवं लोगों को मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक करना।
  13. तकनीकी क्षेत्र जैसे टंकण कला, आशुलिपि, कम्प्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल्स में प्रशिक्षण देकर शिक्षित युवक व युवतियों को स्वावलम्बी बनाना एवं उत्तम शिक्षा व साहित्य का प्रचार-प्रसार कर लोगों को रचनात्मक जीवन की ओर अग्रसर करना।
  14. उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में समाहित बुन्देलखण्ड से सम्बन्धित धरोहर को संरक्षित करने में भागीदार बनना।
  15. वह समस्त कार्य करना जो सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अन्तर्गत आते हों।

बुन्देलखण्ड की वैभवशाली विरासत को संजोने के उद्देश्य से बुन्देलखण्ड विश्वकोश योजना तैयार की जा रही है। यह योजना एक दायित्व पूर्ण मूलमंत्र है जो बुन्देलखण्ड के पृथ्वीपुत्रों को, जनपदीय बंधु बांधवों को मातृभूमि से जोड़ने हेतु आवाहन करती है । इसमें अपनी आध्यात्मिक विरासत को संजोने, धर्म, शिक्षा, विचार और सांस्कृतिक जीवन की पद्धतियों द्वारा प्रबल पुरुषार्थी बनने बुंदेलखंड के महत्व को रेखांकित करने का स्वप्न निहित है।

बुन्देलभूमि हमारी मातृभूमि है, कर्मभूमि है और चेतना भूमि है। “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” के मार्मिक भावों के साथ देश का बच्चा-बच्चा बुंदेलखंड की विरासत से परिचित हो सके। बुन्देलखण्ड विश्वकोश योजना हेतु प्रत्येक व्यक्ति जो जहां है वहां की माटी की महक को अनुभव करे।

बुन्देलखण्ड क्षेत्र वृहद और विशिष्ट है इससे सम्बन्धित सामग्री जुटाने और सहेजने का कार्य किया जायेगा। अधिकांश सामग्री पत्र पत्रिकाओं में, पुस्तकों में है।बुंदेलखंड के गांव गांव, नगर नगर, चप्पे चप्पे की कदम कदम पर बिखरी सामग्री को संरक्षित करने का यह गुरुतर कार्य बुन्देलखंड विश्वकोश योजना समिति के सदस्यों व सहयोगियों के माध्यम से किया जायेगा। बुन्देलखण्ड विश्वकोश का कार्य राष्ट्रीय अस्तित्व और विकास की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि के साथ बुन्देलखण्ड मातृभूमि के ऋण से उऋण होने का एक उपक्रम है।

बुन्देलखण्ड विश्वकोश का यह कार्य लोकोत्तर एवं लोकोन्मुख होने का कार्य है। बुंदेलखंड विश्वकोश साहित्यिक कौतूहल मात्र नहीं है बल्कि यह “माताभूमि पुत्रोहम पृथिव्या” के भाव से ओतप्रोत होकर जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ पृथ्वी पुत्र बनने की भावना उत्तरदायित्व पूर्ण तथा आवश्यक भी है।बुन्देलखण्ड अति प्राचीन है। इसकी महिमा वेदों पुराणों उपनिषदों, धर्म ग्रंथों में अभूतपूर्व रुप से वर्णित है। हम अपने बुंदेलखंड को जानें। जो जहां है वहीं से अपना कार्य प्रारंभ करे।

बुन्देलखण्ड क्षेत्र वृहद समृद्ध और विशिष्ट है इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों से सम्बंधित समितियां बनाई गई हैं। जिसके माध्यम से बुन्देलखण्ड की कोने कोने की जानकारी का संकलन, अभिलेखीकरण व प्रकाशन किया जायेगा।