तुलसीदास
July 16, 2024केशवदास
July 16, 2024बलभद्र मिश्र
जन्म – सं. १६०० वि.
कविताकाल – सं. १६४० वि.
जीवन परिचय
स्थान – बुंदेलखंड के ओरछा के पं.काशीनाथ मिश्र के पुत्र एवं महाकवि केशवदास के अग्रज थे।
ग्रन्थ – बलभद्री व्याकरण, हनुमन्नाटक, नखशिखवर्णन, गोवर्धन सतसई, दूषण विचार आदि।
काव्यशैली – बालभद्र मिश्र ने अपने काव्य में नायिका भेद, उपमा, उत्प्रेक्षा, संदेह आदि का प्रयोग किया है। इनकी कविता का सौष्ठव देखने योग्य है। नखशिख वर्णन देखिये –
उदाहरण – “पाटलनयन कोकनदकेसे दल दोऊ।
बलभद्र वासर अनीदी लखी बाल मै
सोभा के सरोवर में बाडव का आभा कैधौ,
देवधुनी भारती मिली है पुण्य काल।
काम कैबरत कैधौ नासिका – उडप बैठौ,
खेलत सिकार तरुनी के मुख तान मै।
लोचन सितासित में, लोहित लकीर मानो,
बांधे जुग मनि रेसम की डोर लाल में ।।”
यह भक्ति काल का उत्तरार्द्ध काव्य है। जिसमें भक्ति के श्रृंगारिक रूप का उदय शुरू होता दिखाई देता है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने भी माना कि इसकी धारा कृपाराम से चली इसे केशव ने आगे बढ़ाया। काल विभाजन की दृष्टि से केशवदास को भक्ति-काल में ही रखा गया है।