हमीरपुर
February 4, 2025टीकमगढ़ जिले के तालाब
February 4, 2025बुन्देलखण्ड के बाँदा जिले में भी तालाबों की संख्या नगण्य है।
बाँदा
बाँदा जिले का मुख्यालय है। बाँदा में विद्यमान ‘नवाब ताल’ का निर्माण यहाँ के नवाब जुलफिकार अली ने कराया था। यह निस्तारी तालाब है।
‘राजा ताल’ नाम का एक दूसरा तालाब भी बाँदा में है। इसका निर्माण बुंदेला राजा गुमान सिंह (भूरागढ़) ने करवाया था। नगर का विकास होने के दुष्परिणाम स्वरूप यह अस्तित्व खोता जा रहा है।
अरहर
अरहर ग्राम में एक छोटा तालाब है।
बड़ाकोटरा
बड़ाकोटरा में एक प्राचीन चंदेली तालाब है, जिसके फूट जाने के कारण यह तालाब फुटना तालाब कहलाता है।
गोंडा
गोंडा ग्राम में भी चंदेली तालाब है, जो बहुत बड़ा है। देखरेख के अभाव में यह फूट गया था। इसलिए इसे फूटा ताल कहा जाता है।
कालिंजर
बुन्देलखण्ड का अजेय दुर्ग माने जाने वाला कालिंजर दुर्ग पहाड़ पर बना है। पहाड़ के नीचे कालिंजर नाम की बस्ती है। कालिंजर दुर्ग में गंगा सागर, मझार का ताल, राम कटोरा, कोटितीर्थ तालाब, मृगधारा, शनिकुण्ड, पाण्डु कुण्ड, बुढ़िया का ताल, भैरों कुण्ड, मदार तालाब, बिजली तालाब आदि स्थित हैं।
कालिंजर बस्ती में बेला ताल एवं गोपाल ताल नाम के दो तालाब हैं।
कर्बी
कर्बी में विनायक राव मराठा के बनवाये तीन सुंदर तालाब हैं। एक कोठी तालाब, दूसरा कटोरा तालाब एवं तीसरा गनेश तालाब है। गनेश तालाब पर गणेश जी का प्रसिद्ध मंदिर निर्मित है।
लोखरी
लोखरी ग्राम में चंदेलकालीन प्राचीन तालाब है। इसी के पास कोटा कंडेला मंदिर के पास एक छोटा निस्तारी तालाब भी है।
लामा
लामा ग्राम में ‘बोलवा’, ‘धोविहा’, ‘गुमानी’, ‘मदाईन’ एवं ‘इमिलिहा’ नामक पाँच तालाब हैं। यह सब निस्तारी तालाब हैं।
मडफा
मडफा में प्राचीन चंदेलकालीन दुर्ग है। दुर्ग में पत्थरों को काटकर एक विशाल तालाब का निर्माण किया गया है। जो सदैव जल से परिपूर्ण रहता है। एक छोटा तालाब और भी है, जिसमें वर्षा का जल संग्रहीत होता है। बाद में यह सूख जाता है।
रासिन
रासिन यह एक चंदेलकालीन कस्बा था, जो रासिन नाम की पहाड़ी पर बसा था। इसमें मडफा की भाँति पत्थरों को काटकर एक बड़ा तालाब बनाया गया है। इस तालाब की लंबाई चौड़ाई की तुलना में अधिक है। अब यह कस्बा वीरान स्थिति में है। एक छोटा तालाब पहाड़ी के नीचे भी है।
लामा
लामा में ‘अलवारा’ नामक एक जन निस्तारी तालाब है।
सीमू
सीमू ग्राम में ‘खार तालाब’ है जो छोटा एवं कम गहरा है। इस तालाब को खोदकर बनाया गया है। ग्रीष्मकाल में यह सूख जाता है।
तरौहा
तरौहा ग्राम में एक बड़ा तालाब है जो ‘दुर्गा ताल’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस तालाब से सिंचाई कार्य भी होता है।
मानिकपुर
मानिकपुर में भी एक छोटा निस्तारी तालाब विद्यमान है- उपर्युक्त तालाबों के अतिरिक्त अन्य कोई उल्लेखनीय तालाब नहीं है। जिला बाँदा में 363 तालाब हैं।
बुन्देलखण्ड के बाँदा जिले में भी तालाबों की संख्या नगण्य है।
बाँदा
बाँदा जिले का मुख्यालय है। बाँदा में विद्यमान ‘नवाब ताल’ का निर्माण यहाँ के नवाब जुलफिकार अली ने कराया था। यह निस्तारी तालाब है।
‘राजा ताल’ नाम का एक दूसरा तालाब भी बाँदा में है। इसका निर्माण बुंदेला राजा गुमान सिंह (भूरागढ़) ने करवाया था। नगर का विकास होने के दुष्परिणाम स्वरूप यह अस्तित्व खोता जा रहा है।
अरहर
अरहर ग्राम में एक छोटा तालाब है।
बड़ाकोटरा
बड़ाकोटरा में एक प्राचीन चंदेली तालाब है, जिसके फूट जाने के कारण यह तालाब फुटना तालाब कहलाता है।
गोंडा
गोंडा ग्राम में भी चंदेली तालाब है, जो बहुत बड़ा है। देखरेख के अभाव में यह फूट गया था। इसलिए इसे फूटा ताल कहा जाता है।
कालिंजर
बुन्देलखण्ड का अजेय दुर्ग माने जाने वाला कालिंजर दुर्ग पहाड़ पर बना है। पहाड़ के नीचे कालिंजर नाम की बस्ती है। कालिंजर दुर्ग में गंगा सागर, मझार का ताल, राम कटोरा, कोटितीर्थ तालाब, मृगधारा, शनिकुण्ड, पाण्डु कुण्ड, बुढ़िया का ताल, भैरों कुण्ड, मदार तालाब, बिजली तालाब आदि स्थित हैं।
कालिंजर बस्ती में बेला ताल एवं गोपाल ताल नाम के दो तालाब हैं।
कर्बी
कर्बी में विनायक राव मराठा के बनवाये तीन सुंदर तालाब हैं। एक कोठी तालाब, दूसरा कटोरा तालाब एवं तीसरा गनेश तालाब है। गनेश तालाब पर गणेश जी का प्रसिद्ध मंदिर निर्मित है।
लोखरी
लोखरी ग्राम में चंदेलकालीन प्राचीन तालाब है। इसी के पास कोटा कंडेला मंदिर के पास एक छोटा निस्तारी तालाब भी है।
लामा
लामा ग्राम में ‘बोलवा’, ‘धोविहा’, ‘गुमानी’, ‘मदाईन’ एवं ‘इमिलिहा’ नामक पाँच तालाब हैं। यह सब निस्तारी तालाब हैं।
मडफा
मडफा में प्राचीन चंदेलकालीन दुर्ग है। दुर्ग में पत्थरों को काटकर एक विशाल तालाब का निर्माण किया गया है। जो सदैव जल से परिपूर्ण रहता है। एक छोटा तालाब और भी है, जिसमें वर्षा का जल संग्रहीत होता है। बाद में यह सूख जाता है।
रासिन
रासिन यह एक चंदेलकालीन कस्बा था, जो रासिन नाम की पहाड़ी पर बसा था। इसमें मडफा की भाँति पत्थरों को काटकर एक बड़ा तालाब बनाया गया है। इस तालाब की लंबाई चौड़ाई की तुलना में अधिक है। अब यह कस्बा वीरान स्थिति में है। एक छोटा तालाब पहाड़ी के नीचे भी है।
लामा
लामा में ‘अलवारा’ नामक एक जन निस्तारी तालाब है।
सीमू
सीमू ग्राम में ‘खार तालाब’ है जो छोटा एवं कम गहरा है। इस तालाब को खोदकर बनाया गया है। ग्रीष्मकाल में यह सूख जाता है।
तरौहा
तरौहा ग्राम में एक बड़ा तालाब है जो ‘दुर्गा ताल’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस तालाब से सिंचाई कार्य भी होता है।
मानिकपुर
मानिकपुर में भी एक छोटा निस्तारी तालाब विद्यमान है- उपर्युक्त तालाबों के अतिरिक्त अन्य कोई उल्लेखनीय तालाब नहीं है। जिला बाँदा में 363 तालाब हैं।