इन तालाबों के तल में/संचित हैं सारी बरसातें/मूसलाधार काली रातें/ होठों में ही दब गईं, अनकही रह गईं जो बातें।
उतरते आषाढ़ में एक नदी ने कुएँ से पूछा क्या हाल है आपके यहाँ पानी का ? खीज कर कुएँ ने जवाब दिया घिरते हैं पर बरसते नहीं कोई हिसाब नहीं है, बादलों की बेईमानी का – रामविलास शर्मा
रविशंकर के सितार, स्वर भीमसेन के, जाकिर के तबले, संतूर विश्वकर्मा के, चौरसिया की बाँसुरी, कण्ठ लता का, जगजीत के दर्द और हुसैन की कूचियों में जो बहता हुआ है। प्राण-प्राण के मर्म को, राग रंजित करता है। वह पानी ही तो है। संजय पंकज
मेरे शब्दों को, आपके झिलमिल रंगों को, अमरूद के पेड़ों को, पीली पड़ रही पत्तियों को, तोतों को, उठते हुए घरों को, नायिकाओं को, प्रेम बतियाँ लड़ा रही लड़कियों को, काव्य पाठ कर रहे कवियों को चाहिए पानी। कुम्हार को, बढ़ई को, मूर्ति बना रहे मूर्तिकार को, मकबूल हैदर हुसैन को, उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ को, जून की दोपहर में झुझलाए पिता को, चाहिए पानी, परन्तु नलों में, कुओं में, तालाबों में, नदियों में, दुःख का गीत गाते नाविक की आँखों में, कहाँ बचा है पानी, इतना कि तृप्त कर सके घर-आँगन सबका। – शहंशाह आलम
दो सख्त खुश्क रोटियाँ कब से लिये हुए पानी के इंतजार में बैठा हुआ हूँ मैं।
प्रत्येक वस्तु का निर्माण जल से ही हुआ है – ग्रीक दार्शनिक थैलोज (624 ई.पू.)
प्रत्येक वस्तु की उत्पत्ति के मूल में जल है – जोहान बुल्फांग गेटे (जर्मनी के महाकवि)
पृथ्वी में पानी के प्रवाह की तुलना, शरीर में नख से शिख तक एवं शिख से नख तक प्रवाहित होने वाले रक्त से की जा सकती है – लियो नार्दो विंची (इटली के वैज्ञानिक 1492-1519 ई.)
कंचन काया कामिनी, कमल फूल दिन काल। सूख छुहारे हो गये हरे-भरे सब ताल। बिन पानी मछली मरी, मरे शंख शैवाल। जगह-जगह से फट गये नदियों के रूमाल – इसाक अश्क
जल रूपी जगदीश को सेवत सकल सुजान। ‘केसव’ जोजन जानियै सोरह लाख प्रयान।। – महाकवि केशवदास
बाँधिने के नाते ताल बांधियत कैसोराय, मारिबे के नाते द्ररिद्र मारियत हैं। राजा वीरसिंघ के राज जग जीतियत, हारिवे के नाते आन जन्म हारियत है।
देस, नगर, वन, बाग, गिरी, आश्रम सरिता ताल रवि, ससि, सागर भूमि के भूषन रितु सब काल। दोहा – ललित लहर खग पुष्प पशु, सुरभि समीर तमाल। करत केलि पंथी प्रगट, जलचर बरनहुँ ताल ।।
सवैया – आपु धेरैं मल औरनि ‘केसव’ निर्मल काय करैं चहुँ ओरैं । पंथिन के परिताप हरैं हठि जे तरु तूल तनूरूह तौरैं । देखहु एक सुभाउ बड़ी बड़भाग तड़ागनि के पित थोरैं। ज्यावत जीवन हारिनि को निज बंधन कै जग बंधन छोरैं।– महाकवि केशवदास
दोहा -
नदियाँ और तालाब हैं, जल के अस आगार। खेती बाड़ी पेयजल, दोनों के आधार।। जल है ऐसी संपदा, सदा सहेजी जाय। परंपरा जल संग्रहण, सबको सदा सुहाय ।। जल ही जीवन है तभी, है श्रद्धा के जोग। नदियों को माँ मानकर, पूजा करते लोग।। – एन. डी. सोनी
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।