नरबदा मइया क्वांरी तो बहै रे क्वांरी तो बहै रे, जैसें बैरइ दूधा की धार हो। नरबदा….
नरबदा मइया माता तो लगे रे, माता तो लगे रे, तिरबेनी लगे मोरी बैन रे। नरबदा….
नरबदा मइया ऐसें तो मिली रे ऐसें तो मिली रे जैसें मिल गए मताइ उर बाप रे। नरबदा….
माँई के रोयें नदिया बहत है बाबुल के रोयें बेला ताल। मोरे लाल…।
अलगरजी भरे बेलाताल गगर मोरी डूबे ना, सासो की डूबे, ननद की डूबे, मोरी रई उतराय। गगर मोरी…। (बेला ताल जैसे बहुतेरे ताल भरे हैं, पर उनके जल में नायिका की गागर नहीं डूबती। उसकी मन गागर बहुत (जल) के सागर में नहीं डूबती।)
वन के बनवारी बहियाँ न गहो, किन के ताल किनकी फुलवारी, किनके हँस पियै दोई पानी। बहिया न… ससुरा के ताल जेठ फुलवारी, देवरा के हँस पियै दोई पानी …… सूखे हैं ताल, सूखत फुलवारी-देवराजू के हँस चलें ससुरारी …. भरे हैं ताल, छिटक फुलवारी-देवरानी हँस लौट पियै पानी।…..
राते बरस गओ पानी, काय राजा तुमने न जानी। अरा जो भींजो, अटारी भींजी, भींजी है धुतिया पुरानी। काय राजा….. बाग जो भींजे, बगीचा भींजो, मालिन फिरे इतरानी ….. कुवां जो भर गओ, तला है भर गओ, मातेन फिरे बोरानी….. गैया जो भींजी बछिया भींजी, नदियन बढ़गओ पानी ….
अपने देख यार खों लैवीं, पानी के मिस जैवीं….. चौकड़िया फागों की प्रथम पंक्ति
भर गओ भौजी पानी तोरा, दिल बेदिल भव मोरा……चौकड़िया फागों की प्रथम पंक्ति
छोड़ दये असनान तलन, छोड़ो पनिया भरवो…….. चौकड़िया फागों की प्रथम पंक्ति
देखी पनहारिन की भीरें, कुआँ गांव के तीरें……. चौकड़िया फागों की प्रथम पंक्ति
तीनउ जावे बाहर भीतर, तीनउ पानी भरतीं ……. प्रथम पंक्ति तीनउ तीन तलन के ऊपर तीनउ संग सपरतीं। चौकड़िया फागों की
गांव बिगारे रंडी ने उर काई ने बिगारे ताल। माहिल भूपति की चुगली से राजा बिगर गओ परमाल ।। आल्हा …
जग में को पानी की सानी, सब चीजें हरयानी। ई पानी से प्रगट भये हैं, ऋषि मुनी और ज्ञानी।
पानी से तरवर (तरुवर) सीसेंतें, तरवाह. ……. जाय समानी ।। बेपानी बेकार होत है, मानुष की जिन्दगानी। पानी से सब होत ‘नारायन’ कहाँ से पैदा पानी।
जब रगपत दूला देसों हो आये, देश रवाने होय भले जू। जब रगपत दूला गेंवड़े आये, दूब रही हरराय भले जू। जब रगपत दूला तालों आये, ताल हिलौरें लेय भले जू। जब रगपत दूला बागन आये फूल रही फुलवार भले जू। बेला हो फूलो, चमेली हो फूली, केवरा की बास सुहाय भले जू। जब रगपत दूला कुबला आये, मोह रही पनिहार भले जू।
जल कस कें भरूँ, जमुना गहरी। ठाढ़ि भरूँ राजा राम जी देखत हैं न्यूरि भरूँ छलकै गगरी। जलकस…/ न्यूरि भरू मो लाज लगत है। बैठ भरूँ भीजूँ सिगरी। जल कस… (बघेली लोकगीत)
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।