बुंदेलखड में जैसा कि सर्वविदित है यह एक अनूठी अजीबोगरीब जीवन यापन की शैली सदैव इस क्षेत्र की रही है। यहाँ स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के हल की सदैव अपनी सोच रही है। जो आज भी यत्र तत्र सर्वत्र परिलक्षित होती आ रही है। अनेकों वृद्ध , मातायें, घरों के वृद्धजन सदैव कहावतों, मुहावरों एवं क्षेत्र में उपलब्ध साधनों से इन समस्याओं का हल करते रहे। इनके अनेकों उदाहरण हैं। जैसे मातृ शिशु कल्याण कार्य हेतु हमारी ग्रामीण दाइयाँ बिस्वाह के लड्डू, हरीरा, दशमूल काढ़ा, स्नान हेतु नीम बकायन की पत्ती, प्रसूता को पेयजल चरुआ (खैर) की लकड़ी का पानी, कांकों का जल स्नान हेतु आदि का आज भी प्रयोग होता पाया जा रहा है। बच्चों जन्मघुंटी, तेलों की मालिश एवं उच्च गुणवक्तायुक्त खानपान की प्राकृतिक व्यवस्था रखकर विभिन्न व्याधियों एवं रोगों से बचाव के उपाय बनाये गये जो आज भी परम्परा में है। ग्रामों में वृद्ध दाई जचकी का कार्य एवं अन्य स्वास्थ्य परामर्श निरंतर देती आ रही हैं। संपूर्ण क्षेत्र में इन सभी साधनों पर अटूट विश्वास है।
इसके सिवाय जहां तहां चौपालों, विवाह एवं अन्य स्थानों में आपसी सुख-दुःख की चर्चाओं में कहावतों एवं मुहावरों से एवं उनको स्मरित रखकर रोगों के प्रतिरोधात्मक उपाय सुनियोजित ढंग से स्वचलित हैं एवं परामर्श में भी बताये जाते हैं उदाहरणार्थ –
दांत सुरक्षा – चाहो जीवन भर रहें अमर दांत बत्तीस। लघु शंका अरु शौच में बैठो दत्ती मीस।
खाने के परहेज – मूली मट्ठा फल दही सूर्यास्त के बाद। भूखे, कबहुं नहिं खाइये सदा रखिये याद।
नेत्र रोगों हेतु – मिट्टी के नवपात्र में त्रिफला देय भिगाय। प्रतिदिन तड़के धोइये नेत्र रोग मिट जाये। काली मिर्च महीन कर प्रतिदिन खाबै जोय। नेत्ररोग सबै नष्ट हों दृष्टि गिद्ध सम होय।
मलेरिया बुखार हेतु – अकौआ (मदार) जड़ गूदा बत्ती फल फूल। ये पंचानन न जावे भूल। गोली एक सुबह जो खाय तो मलेरिया जड़ सों जाये।
सिरदर्द हेतु – घृत कपूर को लीजिये एकीह साथ मिलाय। सिर माथे में रगड़ये दे सिरदर्द मिटाय।
केश काले रखने हेतु – लोह पात्र में डाल के त्रिफला देय भिगाय, जितना पानी खर्च हो उतना देय मिलाय। त्रिफला जल सों धोइये प्रतिदिन अपने केश। जीवन भर काले रहें सिर के मिटे क्लेश।
हवनों का महत्व – जो गूगल का हवन करावें क्षय के कीटाणु ने आवें। धुंआ भीर जेहिं घर मायं तह मलेरिया आवे नहीं।
संक्रामक रोगों के बचाव – तिल घृत धूप धान्य जौ लेके नित्य हवन अपने मुंह कीजे। संक्रामक रोग बतावे ताकि ग्रह कबहुं नहीं आवे।
क्षयरोग प्रतिरोध का उपाय – सोंठ नमक नित डारके मठा पिये जो लोग रोग तपेदिक दूर हों रहे कोई न रोग।
स्वस्थ आहार – दूध दही अरु साग फल, दरिया खिचड़ी खीर। गाजर हलुआ घृत, राखे शांति शरीर।
रसायनों की प्रकृति – हर्र, बहेड़ा आंवला घी शक्कर सों खाय। हाथी दाबे बगल में ऊंट घसीटत जाय।
उदर रोगों हेतु – आधी कच्ची सौंप ले आधी लेय भुनाय। आधा तो फांकिये मिश्री संग मिला।
कृमि रोगों हेतु – आधा तोला वजन में वायविडंग पिसाय, रत्ती भर मधु में खावे कीट नशाय, पत्ती पीसे नाम की लीजे स्वरस मिलाय। आधा तोला पीजिये पेट कीट मिट जाये। क्वांर करेला कातक दई। मरहों नहीं तो परहों सई।
इस प्रकार अनेकों सुखद ज्ञानवर्धक उपाय इस बुंदेलखण्ड की परंपरा, कवियों की कल्पनाओं एवं अनुभवों के प्रतिफल सदैव स्वास्थ्य सेवा कर वीरों एवं रण बांकुरों की रक्षा करते आ रहे हैं।
सामान्य बीमारियों के लिए घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
बच्चों की सामान्य बीमारियाँ
क्र. | बीमारी | घरेलू उपचार |
1. | खाँसी और जुकाम | 1. काली मिर्च, पीपली और सौंठ के पावडर को समस्त भाग में मिला लें। इसका 1 से 2 ग्राम पावडर दिन में दो-तीन बार शहद के साथ दें। 2. लहसुन की एक कली के पेस्ट को 5 से 10 ग्राम शक्कर मिलाकर पानी में उबालें। दिन में दो बार दें। 3. 1-2 ग्राम भुनी हुई हल्दी का पावडर शहद के साथ दिन में तीन बार दें। |
2. | उल्टी | 1. 1-2 हरी इलायची का पावडर शहद के साथ दिन में तीन बार दें। 2. चुटकीभर नमक मिलाकर नीबू शर्ब दिन में 2-3 बार दें। 3. 5 मि.ली. नीबू शर्बत शक्कर मिलाकर हर एक घंटे के अंतराल से दे। |
3. | पेट दर्द | 1. 1 ग्राम अजवायन का पावडर कुनकुने पानी के साथ दिन में 2-3 बार दें। 2. हींग का चुटकीभर पेस्ट कुनकुने पानी में मिलाकर पेट के प्रभावित हिस्से पर लेप लगाएं। |
4. | दस्त | 1. 2-3 ग्राम बेल का गूदा दिन में दो बार दें। 2. 5-10 ग्राम अनार के छिलके का पावडर दिन में दो बार शहद के साथ दें। 3. 125 से 250 मि.ग्रा. जायफल का पावडर कुनकुने पानी के साथ दिन में 2-3 बार दें। |
5. | कब्ज | 1. हरड़ का पेस्ट काला नमक में मिलाकर दिन में तीन बार दें। 2. 3-5 ग्राम इसबगोल की भूसी दूध में मिलाकर रात को सोने से पूर्व दें। 3. दो ग्राम मुनक्का और दो ग्राम हरड़, दूध के साथ रात को सोते समय दें। |
बड़ों की सामान्य बीमारियाँ
क्र. | बीमारी | घरेलू उपचार |
1. | खाँसी (सतत् सूखा, कफ होना, सीने में दर्द, सर दर्द) | 1. घी में भुनी हुई 2-3 लौंग मुंह में रखकर चबाएं। 2. पीपली का आधा ग्राम पावडर सेंधा नमक में मिलाकर दिन में दो बार गरम पानी के साथ दें। 3. पीपली और सौंठ का पावडर समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण दिन में दो बार शहद के साथ दें। 4. काली मिर्च, सौंठ और शकर का पावडर समान मात्रा में घी में मिलाकर चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण दिन में दो बार दें। |
2. | दाँत दर्द | 1. लौंग के तेल में डुबोया हुआ रूई का फोया प्रभावित दांत पर रखें। 2. प्रभावित दाँत के पास हींग और नमक रखें। 3. काली मिर्च, लौंग, अजवायन मुँह में रखें। |
3. | कान में दर्द | 1. अदरक का रस हल्का गर्म करके कान में 2 से 4 बूंद डाले दिन में दो बार। 2. मूली का रस हल्का गर्म करके दिन में दो बार 2-4 बूंद कान में डालें। 3. लहसुन का रस हल्का गर्म करके 2-4 बूंद कान में डाले दिन में दो बार। |
4. | जुकाम और साधारण ज्वर (हल्का बुखार, सदी-खांसी, बदन दर्द) | 1. अदरक, कालीमिर्च, पीपली और मुलेठी को समान मात्रा (2-3 ग्राम) में मिलाकर उसमें तुलसी की 7 पत्तियां डाले व पानी में उबालकर काढ़ा बना ले। दिन में 2-3 बार दें। 2. एक ग्राम पीपली का पावडर 5-10 ग्राम शहद के साथ दिन में तीन बार दें। |
5. | बदहजमी | 1. 5 ग्राम सौंठ 1 लीटर पानी में उबालें, दिन में 2-3 बार दें। 2. 2 ग्राम सौंठ का पावडर और 3 ग्राम गुड़ मिलाकर दिन में दो बार दें। 3. एक चम्मच गर्म पानी में चुटकीभर हींग दिन में 2-3 बार दें। 4. 3 ग्राम अजवायन और 1 ग्राम नमक गर्म पानी के साथ दिन में दो बार लें। |
6. | उल्टी | 1. एक नीबू का रस 250 मिली पानी में 25 ग्राम शक्कर के साथ दिन में तीन बार दें। 2. 1-3 ग्राम हरड़ का पावडर एक चम्मच शहद के साथ दिन में तीन बार दें। 3. आधा-एक ग्राम हरी इलायची के भुने हुए बीज एक चम्मच शहद के साथ दिन में तीन बार दें। |
7. | दस्त | 1. 1-3 ग्राम सौंठ का पावडर समान मात्रा में शक्कर मिलाकर दिन में दो बार दें। 2. भुने हुए जीरे/पीपली और सौंठ का 2 ग्राम पावडर एक कप छाछ के साथ दिन में 3-4 बार दें। 3. 5 ग्राम इसबगोल की भूसी एक कप दही के साथ दिन में दो बार दें। |
8. | कब्ज | 1. 5 ग्राम हरड़ के फल की छाल नमक में मिलाकर रात को सोते वक्त दें। 2. 2-6 ग्राम त्रिफला चूर्ण 50 मि.ली. गर्म पानी के साथ दिन में दो बार दे। 3. 5-6 ग्राम इसबगोल की भूसी एक कप देकर रात को सोते वक्त दें। |
9. | कमर दर्द/ जोड़ो का दर्द | 1. 5 ग्राम सौंठ को 50 मिली पानी में 20 मिली रह जाने तक उबालें। इसमें 5-10 मिली अरंडी का तेल मिलाएं। दिन में तीन बार दें। 2. 10-20 मिली अरंडी का तेल कुनकुने पानी या दूध के साथ रात को सोते वक्त दें। 3. एक चम्मच मेथी के तले हुए बीज दूध के साथ दिन में दो बार दें। |
सावधानियाँ तथा सलाह –
- सुपाच्य, साधारण और हल्का भोजन ही लें।
- उल्टी-दस्त और कब्जियत जैसी बीमारियों में अधिक तला हुआ और मसालेदार भोजन न लें।
- मुंह के छाले, पायरिया और टॉन्सिल्म जैसी बीमारियों में सोने से पहले और जागने के बाद मुख की अच्छी तरह सफाई करना जरूरी है।
- 2-3 दिन उपचार जारी रखने पर भी यदि लाभ न हो तो तुरंत चिकित्सक को दिखाएं।
रोजमर्रा की परेशानियों के घरेलू इलाज
मुंहासे – दूध में मसूर पीसकर उसमें घी मिलाकर उबटन लगाने से मुंहासे दूर हो जाते हैं।
कान दर्द –
- तम्बाकू को हल्के गरम पानी में 10 मिनट तक भिगाऐं व पानी छानकर रख लें। कान में दर्द होने पर कान में डालें। दर्द अच्छा हो जाएगा।
- लहसुन को सरसों के तेल में डालकर उबाल लें व तेल छानकर रख दें। दर्द होने पर कान में तेल डालें, इससे भी दर्द अच्छा हो जाता है।
बिवाई फटने पर –
- चूना व गाय के घी को सुबह फेंटकर लगाइए, बिवाई एकदम अच्छी हो जाएगी।
- तिल्ली के तेल में नमक डालकर मलने से पांव की बिवाई अच्छी हो जा है।
फुंसी के लिए –
- सुबह नीम की 8-10 पत्ती व जरा सा नमक खाने से चेहरे पर फुंसी नहीं होती।
- फिटकरी चेहरे पर घिसने से फुंसी नहीं होती।
- केले के पत्ते को गरम करके फुंसी पर लगाने से अच्छी सेंक मिलती है।
चोट लगने पर –
- कहीं चोट लग जाए व कट जाए तब साफ करके शहद भरके रुई लगाकर बांध दीजिए, घाव भर जाएगा।
- कटी जगह पर चूना भरकर कत्था सूखा भुरक दीजिए व पट्टी बांध दीजिए।
- रेशम के कपड़े को जलाकर उसकी राख को भी कटी हुई जगह पर लगाने से घाव अच्छा हो जाएगा।
गठान – आटा सान करके उस पर चीनी, घी लगाकर गठान पर लगा दें।
क्रेम्प (बायटे) आने पर – हाथ पैर में क्रेम्प आने पर ब्रेड की पुलटीस बनाकर लगा दीजिए।
काँटे लगा जाने पर –
- गुड़ को गरम करे पट्टी बाँध दीजिए।
- मेहंदी लगाने से भी कांटा जल्दी निकलता है।
हाथ-पाँव का दर्द –
- बहुत ही (कई सालों) पुरानी रुई का गोला बनाकर कड़ाही में सेकें व उस रुई का सेंक करें तो दर्द में राहत मिलती है।
- फिटकरी गरम पानी में मिलाकर दर्द पर वह गरम पानी डालकर खूब अच्छे से नहाएं व खूब पानी डालें।
पेट में कीड़े – चूने को धोकर मटकी में भिगो दें व उसका पानी 1 चम्मच रोज सुबह पीएँ। बच्चों के लिए बहुत ही अच्छा कैल्शियम भी मिलेगा।
संगृहिणी की दवा –
- एक पाव सौंठ, एक पाव सरोड़ा फली, एक पाव मिश्री तीनों को पीसकर कपड़े में छान लें व दिन में तीन बार ठंडे पानी में लीजिए।
- जीरा व चूना घिसकर हरा हो जाए तो दिन में 2-3 बार खाएं।
दाढ़ में दर्द –
- दाढ़ में दर्द होने पर फिटकरी का कुल्ला कीजिए।
- अजवायन का तेल रुई में लगाकर दाढ़ पर रखकर मुंह से पानी गिरने दीजिए।
- सरसों का तेल व नमक लगाकर दाढ़ से पानी गिराएँ।
पेट में जलन – केले में चीनी व इलायची पावडर डाल लें व टुकड़े करके सब मिला लें व खाएँ, इससे पेट की जलन दूर हो जाएगी।
तिल्ली रोग – पपीते की सब्जी और मुरब्बा खाने से अच्छा होती है।
पेचिश –
- दस तोला छोटी हरड़, थोड़ा-सा भूना सफेद जीरा, दो तोला नमक लेकर मिलाएं व दिन में चार बार दही के साथ खाने से पेचिश अच्छी होगी।
- इसबगोल की भूसी में भिगोकर उसमें काला नमक मिलाकर खाने से पेचिश अच्छी होती है।
खून साफ – दूध में संतरे का छिलका डालकर उबालें। इस दूध को पीने से खून साफ होता है।
जीभ में छाले – छाले होने पर तबे पर सुहागे का फुला बनाकर शहद के साथ मिलाकर लगाएं, दिन में 3-3 बार व थूक गिराएं।
घुटने में दर्द –
- मेथी थोड़ी भूनकर पीस लें व सुबह-शाम उसकी फक्की लेकर दूध पी लें।
- एक कली लहसुन तबे पर भूनकर भोजन के पहले उसे निगल लें, तब भी दर्द अच्छा होता है।
फिटकरी के लिए – नीसादर और चूना मिलाकर सुंघाने से फिट नहीं आते हैं। प्याज सुंघाने से, रुई जलाकर उसका धुआं सुंघाने से भी फिट नहीं आते हैं।
सर्दी के लिए – आँवले को कूटकर कपड़े से छान लें व सुबह शहद में मिलाकर खाने से काफी फायदा होता है।
बेहोशी में –
- आंवलों का रस निकालकर उसमें घी मिलाकर पिलाने से बेहोशी चली जाती है।
- हाथ-पांव पर हल्की चोट आने पर नमक, हल्दी, सरसों का तेल गरम करके दिन में 1-2 बार लगाइए, अच्छा हो जाएगा।
मोच आने पर – भूसी को गरम कर लें व कपड़े में बांधकर उसका सेंक दिन में 4-5 बार करें, दर्द अच्छा हो जाएगा।
पेट का दर्द – जासुन का अर्क, सौंप का अर्क व पुदीने का अर्क तीनों मिलाकर दिन में 2 बार लें।
ब्लडप्रेशर – एक कप दूध में 4 लहसुन की कली डालकर उबाल लें व कली खा लें व दूध भी पी लें। दिन में 2 बार करें। 15 दिन तक करना चाहिए।
पीलिया –
- पान के पत्ते में पीपल के कोमलिया पत्ते रखकर 3-4 बार खिलाएँ, परंतु मरीज को पता नहीं चलना चाहिए।
- पान में चिड़िया की बीट डालकर दिन में 2-3 बार खिला दें। पता नहीं चलना चाहिए।
माहवारी में दर्द –
- आटा घी में भूनकर पिसी चीनी व कच्चा गोंद एकदम महीन करके डाले व कुछ दिन खाएं।
- 5-7 सिंघाड़े पानी में रात को भिगो दीजिए, फिर सुबह पीसकर थोड़े घी में भूनकर चीनी मिलाकर 7 दिन खाने से अच्छा हो जाएगा। एम.सी. में दर्द होने से दूध में घी डालकर पीऐं।
मसूढ़ों में दर्द –
- हल्दी व नमक लगा दें।
- हींग को भी भरने से दाढ़ ठीक हो जाएगी। दांत में दर्द होने पर हरडे का एक टुकड़ा उस जगह पर रखें।
छाले होने पर –
- शहद लगाकर पानी टपकने दें।
- बादाम, मिश्री व गोंद में रखकर ज्यूस पीऐं।
- गुडबेल का सत, छोटी इलायची, मिश्री तीनों को पीसकर सुबह-शाम खाइए।