चरखारी उत्‍तर प्रदेश के महोबा जिले की एक तहसील है। चरखारी का किला मंगलगढ़, रंजीता पहाड़ पर स्थित है। चरखारी के लिए बाँदा, महोबा, कुलपहाड़ एवं हमीरपुर से बस की सुविधा है। झाँसी-मानिकपुर रेलवे लाइन पर चरखारी रोड स्टेशन है, जहाँ से 8 किलोमीटर दूरी पर चरखारी नगर है। चरखारी नगर को तालाबों का नगर भी कहते हैं। यहाँ लगभग 15 से 20 तालाब हैं। किले की स्थिति बहुत ही मनोरम जगह पर है।

        चरखारी किला अपने आकर्षक स्‍थापत्‍य एवं सामरिकता की दृष्‍टि से विशेष महत्‍व रखता है। किले का मुख्‍य दरवाज़ा पहाड़ी के मध्‍य भाग में निर्मित प्रस्‍तर परकोटा में पश्चिम दिशा को है। पहाड़ी पर लगभग 50 फुट चढ़ते हुए किला दरवाज़ा पर पहुँचते हैं। यह चढ़ाई क्रमश: घुमावदार है, जो उत्तर की ओर से पश्चिम को घूमते हुए है। दरवाज़े से किला प्राँगण तक पहुँचने का मार्ग भी घुमावदार है। जब किला प्राँगण में पहुँचते हैं, तो वहाँ से चारों ओर का सुरम्‍य वातावरण अति मनोरम लगता है। चारों ओर तालाब से घिरा मंगलगढ़ गिरि दुर्ग है, परंतु कालांतर में इसे जलदुर्ग का स्‍वरूप देकर दुहरी सुरक्षा कर दी गयी। सीधा खड़ा पहाड़ तथा चारों ओर से तालाबों को पार कर शत्रु को किले तक पहुँचना कठिन था। किला प्राँगण के पूर्वी अंचल में आवासीय सुंदर है, दक्षिणी पार्श्‍व में सुरक्षा सैनिकों के कक्ष हैं, जो अब खंडहरों में तब्‍दील हो रहे हैं। उत्‍तरी पश्चिमी अँचल में खुली बैठक एवं अनेक कक्ष हैं। किला प्राँगण में चट्टानों को काटकर बनाया गया एक तालाब है। यह किला मंगलगढ़ जैतपुर के राजा जगतराज द्वारा 1720 ई. में बनवाया गया। जून 1720 को इसकी नींव रखी गयी तथा उस दिन मंगलवार होने के कारण इसका नाम मंगलगढ़ पड़ा।