ग्रन्थ – कीर्तन, कयारमत नामा, पदावली, प्रगटवाली, ब्रह्मवाणी, राज विनोद, बीस गरोहों का बाप।
प्राणनाथ संत कवियों की श्रेणी के बुन्देलखण्ड के कवि है। इनका असली नाम मेहराज था। आपके गुरु ने इन्हें प्राणनाथ की उपाधि से अलंकृत किया था तभी से आप प्राणनाथ के नाम से जाने जाते है। प्राणनाथ बुन्देल केसरी महाराज छत्रसाल से सम्मानित रहे। प्राणनाथ के काव्य में अपने काल की छाया स्पष्ट परिलक्षित होती है।
“चन्द्रबिन सांस है रजनी, सरोज बिन सखर,
तेज बिन तुरग, मतंङ्गः बिन मद को।
बिनु सुत सदन नितम्बिनी सुपति बिनु
धन बिनु धरम नृपति बिन पद को।
बिनु हरि भजन जगत सोहै जग कौन,
नोन बिनु भोजन विटप बिना छद को।
प्राणनाथ सरस समान सौहै कवि बिनु,
विद्या बिन बात न नगर बिना नद को।”
जिस प्रकार बिना रात्रि के चन्द्रमा की उपस्थिति और मल विहीन सरोवर, घोड़ा का वेग विहीन होना अस्तित्व नहीं है। उसी प्रकार बिना बच्चों का घर, बिना पति की स्त्री धर्मविहीन राजा और धर्मबिना कौन शोभायमान हो सकता है। उसी प्रकार नमक रस विहीन भोजन और रसप्लावित कविता ही अच्छी मानी जाती है। इनकी वाणी ने समाज को नई दिशा दी थी। इसीलिये प्राणनाथ को संतों की भांति आदर और सम्मान मिला। धर्म पर हो रहे आक्रमण की रक्षा उन्होंने धर्म-प्राण समाज को आश्वस्त किया और उन्हें सजग बनाये रखा।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।