प्रमुख तीर्थ स्थल
September 16, 2024जन-जीवन
September 16, 2024अपने जनपद में सभी धर्मों के मानने वाले लोग मिल-जुलकर रहते हैं; इसीलिए हमारा लोक का जीवन विशाल और सागर की भाँति गहरा है; जिसमें अनगिनत रत्न भरे पड़े हैं। इसी कारण हमारे जनपद में सभी धर्मों के पर्वों को सामूहिक रूप से उत्सव के रूप में मनाने की परम्परा है। इस विशिष्ट लोकरीति को ”मेला” कहते है। जब-जब किसी भी धर्म सम्प्रदाय के आस्था स्थल पर बाजारों की अस्थाई रचना हो जाती है, इसे हम ”मेला” कहते है। मेला का उद्देश्य परस्पर मेज-जोल को बढ़ाना है, चूँकि मेले में अलग-अलग धर्मों के मानने वाले और अलग पेशों-धन्धों के करने वाले लोग आपस में मिलते है फलस्वरूप परस्पर सद्भावना का विकास होता है ,यह मेले तीज त्योहारों पर अथवा उर्स मुबारक के मौकों पर अपने जनपद में यत्र-तत्र सर्वत्र देखे जा सकते है। आइये हम आपको ललितपुर जनपद के मेलों की सैर कराने ले चलते है। अस्तु-
गनेशपुरा (गनेश खेरा) बानपुर
जनपद मुख्यालय से 34 किलोमीटर पूर्व में तहसील महरौनी से 14 किलोमीटर उत्तर में तथा मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से 10 किलोमीटर पश्चिम में जामनी नदी के किनारे बसा एक अति प्राचीन गाँव है। यहाँ उत्तर दिशा में बड़े ताल के पास स्थित गणेशपुरा (गनेश खेरा) में प्रतिवर्ष माघ कृष्ण चतुर्थी को गणेश मेला लगता है। यहाँ की गणेश मूर्ति विश्व में अपने तरह की एक मात्र मूर्ति हैं। यह मूर्ति एक ही चट्टान में उत्कीर्णित लगभग आठ फुट ऊँची नृत्य करती हुई विद्यमान है। इस 22 भुजी विलक्षण गणेश मूर्ति के यहाँ अत्यन्त मनोहारी दर्शन होते है। यहा एक दिवसीय विशाल मेले का आयोजन होता है।
नीलकण्ठेश्वर पाली
जनपद मुख्यालय से 45 किलोमीटर दक्षिण में तथा जाखलौन रेलवे स्टेशन से 11 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यह पाली तहसील मुख्यालय से 2 किलोमीटर दूर घने जंगल में चन्देलकालीन एकान्तप्रिय शिव त्रिमूर्ति का शिखरहीन देवालय विद्यमान है। यह मन्दिर एक पहाड़ी पर स्थित है, यहाँ पर झरने एवं जंगल का दृश्य मनोहारी है यहाँ प्रतिवर्ष महा शिवरात्रि पर विशाल मेले का आयोजन होता है जिसमें हजारों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं।
रणछोड़ जी
वेतवा नदी के तटपर धौर्रा रेलवे स्टेशन से 4-5 किलोमीटर की दूरी पर जंगल में एक रमणीक स्थान रणछोर जी के नाम से है। यहाँ पाली त्रिमूर्ति की तरह शिखर विहीन मंदिर है जिसमें विष्णु, लक्ष्मी की अद्भुत प्रतिमाएँ है एवं एक हनुमान जी की विशाल मूर्ति है। आज यह पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है तथा जनपद की धरोहर है। यहाँ मकर सक्रांति पर विशाल मेले का आयोजन होता है जो पन्द्रह दिनों तक चलता है।
अंजनी माता मन्दिर
जनपद मुख्यालय से 50 किलोमीटर तथा महरौनी तहसील मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूरी पर कुम्हैड़ी ग्राम के पास अंजनी माँ का बुन्देलखण्ड प्रसिद्ध मन्दिर है। यहाँ पर दूर-दूर से सूखा रोग से पीड़ित बच्चों को लेकर लोग आते हैं माँ अंजनी की कृपा से वह ठीक भी हो जाते है ऐसा लोगों का विश्वास है। यहाँ चैत्र पूर्णिमा पर एक सप्ताह का विशाल मेला लगता है इस मेले में बुन्देलखण्ड प्रसिद्ध पशु मेला भी लगता है।
तालबेहट
तालबेहट तहसील मुख्यालय में महाराजा मर्दनसिंह दुर्ग के अन्दर मान सरोवर झील है जिसके पास 1840 में नगर के धनाढ्य मोतीलाल खत्री ने एक विशाल हजारिया महादेव की मूर्ति की स्थापना कराई थी यहाँ प्रतिवर्ष मकर संक्रान्ति पर, शिवरात्रि एवं विशाल मेले का आयोजन होता है।
रागपंचमपुर
जनपद मुख्यालय से सीरोंजी के पास दैलवारा रोड़ पर यह सिद्ध बाबा की मड़िया है। जहाँ की राख लगाने से फोड़ा, फुन्सी, घाव, नासूर आदि रोग दूर हो जाते हैं ऐसी लोगों की मान्यता है इसीलिए देश के कोने-कोने से रंग पंचमी के दिन हजारों लोग आते हैं इसलिए रंग पंचमी पर एक दिवसीय विशाल मेला लगता है।
देवा माता
यह स्थान ललितपुर झांसी मार्ग पर तालबेहट के पास तेरई फाटक से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ अत्यन्त रमणीक वातावरण में देवा माता मन्दिर एवं नव देवियों के मन्दिर सहित कई देवी देवताओं के मन्दिर है जिनका निर्माण फक्कड़ बाबा ने कराया था। यहाँ दोनों नवरात्रि में विशाल मेला लगता है।
चाँदपुर जहाजपुर
यह स्थान धौर्रा रेलवे स्टेशन से घने जंगल में आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यहाँ पर कई किलोमीटर की परिधि में जैन एवं हिन्दु धर्म की कई मूर्तियों के अवशेष बिखरे पड़े है यहाँ पर नौवीं शताब्दी की 17 फुट ऊँची शान्तिनाथ भगवान की मूर्ति स्थित है। यहाँ पर एक दिवसीय मेला लगता है।
मोती मंदिर मेला
मड़ावरा तहसील मुख्यालय में वैशाख मास में मोती माता मंदिर के पास पन्द्रह दिन का विशाल मेला लगता है।
शहीद महोत्सव मेला
महरौनी तहसील मुख्यालय में अमर शहीद राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल के शहीदी दिवस 5 सितम्बर से एक सप्ताह का मेला लगता है जिससें विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते है।
वार महोत्सव मेला
वार विकास खण्ड मुख्यालय में चैत्र मास में वार महोत्सव मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें विभिन्न संस्कृतिक आयोजन भी किए जाते है।
ललितपुर महोत्सव
ललितपुर महोत्सव का आयोजन जिला मुख्यालय पर किया जाता है इसमें विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है तथा दूर-दूर से बड़ी-बड़ी दुकानें आती है जो प्रमुख आकर्षण का केन्द्र होती हैं।
कलश झिर मेला
बालाबेहट और धोर्रा के निकट जंगल में अति रमणीक स्थान पर कलश झिर महादेव शंकर का एक प्रचीन सिद्ध मंदिर है इस मंदिर के निकट ही एक छोटा सा कुण्ड नुमा स्थान है इसमें एक छोटा सा कलश ही डालकर जल निकाला जाता है इससे ही भगवान शंकर का जलाभिषेक किया जाता है। यहाँ प्रतिवर्ष मकर संक्राति पर विशाल मेला लगता है।
बरवासन माता मेला
यह स्थान भी तहसील पाली और बालावेट के निकट जंगल में वरवासन माता का मंदिर अति प्राचीन है। यहाँ वसंत पंचमी पर विशाल मेले का आयोजन होता है। यह स्थान बहुत ही रमणीक है।
दुनातर का मेला
बार विकास खण्ड में चंदावली ग्राम के पास सजनाम और ‘जामनी’। जामनेर के संगम स्थल जिसे स्थानीय लोग ‘दुनातर’ कहते है इस संगम स्थल पर भगवान भोले नाथ का मंदिर है। यहाँ मकर संक्रांति पर विशाल मेला लगता है।
सैय्यद अहमद शाह बाबा का उर्स
महरौनी नगर के मध्य नयन सुख तालाब के बन्धान पर स्थित सैय्यद अहमद शाह बाबा की मजार पर प्रतिवर्ष उर्स मेले का आयोजन होता है।
बाबा सदनशाह का उर्स
ललितपुर नगर में हिन्दु मस्लिम एकता के प्रतीक बाबा सदनशाह की मजार पर प्रतिवर्ष मार्च माह के अन्तिम सप्ताह में या अप्रेल माह के प्रथम सप्ताह में तीन दिवसीय उर्स महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह मजार नौ मणि बत्तीस खम्भ से विख्यात है। यहाँ भारत प्रसिद्ध उर्स का मेला लगता है।
झूमरनाथ का मेला
बार विकास खण्ड के पास पारोंन में महादेव झूमरनाथ के स्थान पर मकर संक्रान्ति व महा शिवरात्रि पर विशाल मेले का अयोजन होता है, इन विशिष्ट पर्वो पर अनेकानेक धार्मिक स्थलों पर लगने वाले मेलों में हमारे जनपद की धर्म प्राण भोली जनता बड़े उत्साह और श्रद्धा से सम्मिलित होकर बिना किसी धार्मिक भेदभाव के देव पूजन तथा भक्ति भाव प्रदर्शित करने में किसी से कम नहीं है। जनपद में लगने वाले इन मेलों में आज भी ग्रामीण अंचल के रहन-सहन की झलक देखने को मिलती है। जनपद के इन तीर्थो को हम शत्-शत् नमन करते हैं।
शहीद महोत्सव मेला तालवेहट
तालवेहट तहसील मुख्यालय में अनुराग रावत व लालसिंह यादव के शहीदी दिवस पर महोत्सव का आयोजन होता है इसमें विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है तथा एक सप्ताह का मेला भी लगता है।
शहीद महोत्सव मेला सौजना
शहीद चरन सिंह की स्मृति में तहसील महरौनी से 18 कि.मी. दूर सौजना ग्राम शहीद महोत्सव का आयोजन होता है जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।