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September 16, 2024
प्रमुख मेले
September 16, 2024अपना देश धर्म निरपेक्ष देश है। यहाँ विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग निवास करते हैं। उनकी आस्था एवं विश्वास किसी न किसी स्थान से जुड़ी है। अपने जनपद में भी हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई एवं जैन धर्म के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हैं। आइये, हम आप इन तीर्थ स्थलों का भ्रमण करें-
ललितपुर
यहाँ तुवन टीला पर प्रसिद्ध तुवन मन्दिर, सीतापाट, प्राचीन काल का हजारिंया महादेव मन्दिर, नगर के पूर्व में ललितेश्वरी माता मन्दिर, पश्चिम में माँ जागेश्वरी, दक्षिण में माँ वैरावट एवं उत्तर में मेघासना मन्दिर है एवं नगर के अन्दर नरसिंह मन्दिर, चण्डीमाता मन्दिर, मोती मंदिर, राम राजा मन्दिर, चर्च, गुरूद्वारा, जैन धर्म के क्षेत्र एवं अटा मन्दिर तथा हिन्दु मुस्लिम एकता के प्रतीक बाबा सदन शाह की मजार भी स्थित है, जो नो मणि बत्तीस खम्भ से विख्यात है। यहाँ भारत प्रसिद्ध उर्स का मेला लगता है।
महरौनी
यह ललितपुर से 38 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। यहाँ क्षेत्रपाल जी एवं लक्ष्मी नारायण जी का प्राचीन प्रसिद्ध मन्दिर है एवं यहाँ परमहहंस सिद्ध कुटी है एवं यहाँ से महरौनी-मड़ावरा रोड़ पर जैन मंदिर, दुर्गा जी मंदिर, नगर के मध्य में बड़ा जैन मंदिर, दीवान जी मंदिर, किले के हनुमान जी का मंदिर, तथा नयन सुख तालाब पर सैय्यद अहमदशाह बाबा की मजार है। टीकमगढ़ रोड़ पर बाला जी मंदिर एवं सूर्य मंदिर भी है।
अंजनी मंदिर
महरौनी-मड़ावरा रोड़ पर छायन ग्राम से 4 किलोमीटर पूर्व में कुम्हेड़ी ग्राम के पास बुन्देलखण्ड प्रसिद्ध अंजनी माता का मंदिर है। यहाँ पर दूर-दूर से सूखा रोग से पीड़ित बच्चों को लेकर लोग आते है और माँ की कृपा से वह ठीक भी हो जाते हैं ऐसा लोगों का विश्वास है। यहाँ चैत्र पूर्णिमा पर विशाल मेला लगा है इसमें पशु मेला पूरे बुन्देलखण्ड में प्रसिद्ध है।
देवगढ़
देवगढ़ ललितपुर से 33 किलोमीटर की दूरी पर बेतवा नदी के किनारे स्थित है। यहाँ बेतवा नदी के किनारे पहाड़ी पर जैन धर्म से सम्बंधित अनेक मन्दिरों के अवशेष हैं एवं शान्तिनाथ का प्राचीन मंदिर है। यहाँ छठी शताब्दी में बना दशावतार मन्दिर विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ 1993 में 15 दिसम्बर से 23 दिसम्बर तक नव गजरथ महोत्सव का आयोजन किया गया था। जिसमें दस लाख श्रद्धालुओं का आगमन हुआ था। यह जनपद का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन रहा।
नील कण्ठेश्वर पाली
यह ललितपुर से 45 किलोमीटर दक्षिण में तथा जाखलौन रेलवे स्टेशन से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ पाली ग्राम से लगभग 2 किलोमीटर दूर घने जंगल में चन्देल कालीन एकान्तप्रिय शिव त्रिमूर्ति का शिखर हीन देवालय विद्यमान है। यहाँ पर झरने एवं जंगल का दृश्य मनोहारी हैं, यहाँ महा शिवरात्रि पर विशाल मेला लगता है।
रणछोड़ जी
बेतवा के तट पर धोर्रा से 4-5 किलोमीटर दूर रणछोड़ जी नामक स्थान हैं, यहाँ पाली त्रिमूर्ति की तरह शिखर विहीन मन्दिर हैं, जिसमें विष्णु, लक्ष्मी की अद्भुत प्रतिमायें है एवं एक हनुमान जी की विशाल प्रतिमा है।
बानपुर
द्वापर युग के राजा वाणासुर के नाम पर इस नगरी का नाम बानपुर पड़ा ऐसा मत है। यह ग्राम ललितपुर से 48 किलोमीटर, महरौनी से 14 किलोमीटर और टीकमगढ़ जिला मुख्यालय से 9 कि.मी. है पास ही गणेशपुरा में बाईस भुजा के गणेश जी की मूर्ति नृत्यमुद्रा में स्थित है। यही पर महरौनी रोड़ पर जैन अतिशय क्षेत्र है, जहाँ चन्देल प्रतिद्वार कालीन चारों और द्वारा वाला मन्दिर (चैत्यालय) है। चन्देल शासक परमर्दिदेव के अहार मूर्ति लेख के अनुसार गृहपति वेश में पाल द्वारा सहस्रकूट-मन्दिर का निर्माण किया गया था।
बार
ललितपुर झाँसी रोड़ पर बांसी से 10-11 किलोमीटर की दूरी पर अत्यन्त सुन्दर कस्बा है। यहाँ नवग्रह, नृत्यगणेश, शिव व एक प्रसिद्ध विष्णु मन्दिर हैं। यहाँ का चन्दन वन बहुत प्रसिद्ध है।
सीरोन खुर्द
वह स्थल ललितपुर से 20 किलोमीटर दूर नदी के तट पर स्थित है इस के पूर्व में शान्तिनाथ का मन्दिर है। जिन्हें चन्देल राजाओं के समय में बनाया गया था। यहाँ 2-3 किलोमीटर की परिधि में मन्दिर का वास्तु शिल्प मिलता है।
मदनपुर
मदनपुर ललितपुर से 60 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में मदनवर्मन द्वारा बसाया गया ग्राम हैं। यहाँ चन्देल कालीन अवशेष अभी भी शेष है। यहाँ जैन व हिन्दु धर्म से सम्बन्धित मन्दिर स्थित है। यहाँ आल्हा ऊदल की बैठक 11वीं सदी का बना हुआ है।
चाँदपुर -जहाजपुर
यह स्थान धोर्रा रेलवे स्टेशन से घने जंगल में आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ पर कई किलोमीटर की परिधि में जैन धर्म एवं हिन्दु धर्म की कई मूर्तियाँ के अवशेष बिखरे पड़े हैं यहाँ 17 फुट ऊँची शान्तिनाथ भगवान की मूर्ति स्थित है।
दूधई
यह ललितपुर से 65 किलोमीटर देवगढ़ से 30 किलोमीटर एवं सेपुरा से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ पर नेमीनाथ, भगवान एवं नरसिंह भगवान की विशाल प्रतिमाएँ है। अधिकांश मूर्तियाँ खण्डित अवस्था में हैं।
तालबेहट
यहाँ पर महाराजा मर्दन सिंह के दुर्ग के अन्दर मान सरोवर झील है, जिसके पास 1840 में नगर के धनाढ्य श्री मोतीलाल खत्री ने एक विशाल हजारिया महादेव की मूर्ति की स्थापना कराई थी, यहाँ हमेशा शिव भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
अन्डेला
यह स्थल ललितपुर से 78 किलोमीटर दूरी पर वामन त्रिविक्रम की दो और बीच में सुदर्शन चक्रधारी विष्णु की अद्भुत प्रतिमायें है जो आधुनिक मन्दिर में दर्शनीय हैं।
देवामाता
यह स्थान ललितपुर-झाँसी मार्ग पर तालबेहट के पास तेरी फाटक से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यहाँ अत्यन्त रमणीक वातावरण में देवामाता मन्दिर का निर्माण फक्कड़ बाबा द्वारा कराया गया है।
अमझरा
यहाँ रमणीक वातावरण में अमझरा घाटी में हनुमान जी की सिद्ध प्रतिमा है। यहाँ के जँगलों में बारह माह झरने बहते रहते है। यह मंदिर नाराहट के राव साहव के परिवार ने बनवाया था तथा उन्हीं की देखरेख में है।
माताटीला
तालबेहट से 10 किलोमीटर उत्तर में एक सुन्दर रमणीक टीले पर टीला माता देवी का प्रसिद्ध मन्दिर है। जिसे छावनी तालबेहट की देखरेख में बहुत ही आकर्षक बना दिया गया है।
राग पंचमपुर
ललितपुर से 4-5 किलोमीटर की दूरीपर दैलवारा रोड़ पर स्थित यह सिद्ध बाबा की मढि़या है। जहाँ की राख फोड़ा, फुन्सी, घाव, नासूर आदि रोगों के लिए देश के कोने-कोने से लोग यहाँ आकर ले जाते हैं और उन्हें लाभ होता है लोगों की ऐसी मान्यता है, यहाँ रंग पंचमी पर बहुत बड़ा मेला लगता हैं।
मसौराखुर्द
ललितपुर- सागर मार्ग पर ललितपुर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यहाँ 17वीं 18वी शताब्दी के प्रसिद्ध जैन मन्दिर हैं।
पावागिरी
यह ललितपुर झाँसी मार्ग पर ललितपुर से 35 किलोमीटर पर स्थित है। यह जैन तीर्थ सुरम्य वन पहाड़ियों से घिरे इस जैन तीर्थ का शिल्प दर्शनीय है।
च्यवन ऋषि
यह मंदिर बंट और पाली तहसील के पास पहाड़ी पर स्थित है जो प्राचीन मंदिर है यहा पर च्यवन ऋषि ने बैठकर हनुमान जी की तपस्या की थी, यहाँ पर एक सुन्दर झरना भी है।
इन्द्र अखाड़ा मंदिर
यह मंदिर जाखलौन नगर के मध्य में श्री हनुमत लाल जी का मंदिर है यहीं बाबा राम किशन जी की मूर्ति भी स्थापित है यह एक परम सिद्ध साधक संत थे।
स्वयं भू गणेश मंदिर
जाखलौन नगर के मध्य में एक शिला पर स्वयं भू गणेश जी की प्रतिमा है जिस पर नन्हें राजा इन्द्रपाल सिंह जी के पूर्वजों ने एक सुन्दर मंदिर निर्माण कराया था।
झूमर नाथ मंदिर
यह मंदिर बार ब्लाक के पारौल नामक ग्राम में स्थित है, यहाँ पर भगवान भोले नाथ का एक सिद्ध मंदिर है। प्रतिवर्ष संक्रांति पर विशाल मेला लगता है।
हनुमान गढ़ी सौजना
सौजना ग्राम के प्रवेश करते ही एक छोटी सी पहाड़ी पर हनुमान जी की सिद्ध मूर्ति हैं।
मुचकुन्द गुफा
रेलवे स्टेशन धोर्रा के पास जंगल में मुचकुन्द गुफा है, महर्षि मुचकुन्द श्री राम के पूर्वज थे; उन्होंने असुरो के विरुद्ध देवों की सहायता करने के लिए बिना अवरोध के निद्रा का वरदान मांगा था, और यह भी मांगा था कि जो भी निद्रा को भंग करेगा वह भस्म हो जायेगा। इसी वरदान के कारण कालयवन राक्षस को श्री कृष्ण ने छल करके भस्म करा दिया था। यहाँ हनुमान जी और शिवजी का मंदिर है तथा दर्शनीय रमणीय गुफा आज भी है।
सैदपुर
यह महरौनी से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यहाँ पांडव ताल पर राजा नहुष की आधी सर्प एवं आधी मानव की मूर्ति जनपद प्रसिद्ध है, यहाँ देवी मन्दिर के लिए कहावत प्रसिद्ध है।
“नगर सैदपुर बीच में, देवी बीच बाजार,
ऐसी प्रतिमा है नहीं देखो देश हजार,”
गुढ़ा
यह जनपद ललितपुर मुख्यालय से 51 किलोमीटर एवं महरौनी से 13 किलोमीटर दूर है यहाँ हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर है एवं एक प्रसिद्ध जैन मंदिर स्थित है। जनपद ललितपुर की विभिन्न धर्म स्थली भूमि को नमन करो और जब भी समय मिले इन स्थानों का भ्रमण कर अधिकतम जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करो।